Colours Name in English and Hindi | रंगों के नाम अंग्रेजी व हिन्दी में
आज अपनी इस पोस्ट “Colours Name in English and Hindi (रंगों के नाम अंग्रेजी व हिन्दी में) – Colour with Name” मैं में आपके लिए रंगों के नाम अंग्रेजी और हिन्दी में चित्रों (Colours Name in English and Hindi with Picturs) के साथ बताने के साथ ही साथ उनसे जुड़ी कुछ जानकारी भी लेकर आई हूँ।
छोटे बच्चों को तो अपनी पढ़ाई के दौरान “Colours Name in English and Hindi (रंगों के नाम अंग्रेजी व हिन्दी में) याद करने ही होते है, लेकिन कई बड़े लोगों को भी अधिकतर रंगों के नाम अंग्रेजी व हिन्दी में पता नहीं होते है।
और फिर वे जाते है अपने “Google Baba” के पास और वहाँ उन्हें उनका जवाब मिल जाता है। मैं भी अपने बेटे को पढ़ाने के दौरान “Google Baba” के पास ही गई थी मुझे अपने सवालों का जवाब तो मिला। लेकिन मुझे रंगों के बारे में जो जानकारी लेनी थी उसके लिए मुझे बहुत सारी Posts देखनी पड़ी। कुछ लेखों में रंगों के नाम तो बता रखे थे तो कुछ में उनके बारे में थोड़ी बहुत जानकारी।
इसलिए जब मैंने अपना Blog शुरू किया तो मुझे लगा कि मुझे एक लेख ऐसा लिखना चाहिए जिसमें रंगों के नामों के साथ-साथ उनसे जुड़ी कुछ जानकारी भी हो जिससे आपको एक ही Post में रंगों के संसार के बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त हो सके।
Colours Name in English and Hindi (रंगों के नाम अंग्रेजी व हिन्दी में) – Colour with Name
रंगों का हमारे जीवन में बहुत बड़ा स्थान है। रंगों के कारण ही हमें यह दुनियाँ इतनी खूबसूरत नजर आती है। हम चीजों में अंतर कर पाते है।
आप ही सोचो यदि रंग नहीं होते तो यह बेरंगी दुनियाँ कैसी लगती। हम किसी भी चीज में फर्क ही नहीं कर पाते। कौन सी गाजर है और कौन सी मूली कैसे पता चलता? क्यों सही है ना!
तो चलते है रंगों के रंग-बिरंगे इंद्रधनुषी संसार में और जानते है “Colours Name in English and Hindi (रंगों के नाम अंग्रेजी व हिन्दी में)
S. N. | Colour Image | Colours Name in English | Colours Name in Hindi | HEX Colour Code |
---|---|---|---|---|
1 | Almond (आलमंड) | बादामी (बादामी) | #EADDCA | |
2 | Amber (अम्बर) | भूरा पीला रंग (भूरा-पीला रंग) | #FFBF00 | |
3 | Aqua (एक्वा) | पानी जैसा रंग (Pani Jaisa Rang) | #00FFFF | |
4 | Aquamarine (एक्वामरीन) | हल्का नीला-हरा रंग (Halka Nila-Hara Rang) | #7FFFD4 | |
5 | Azure (अज़र) | आसमानी (Aasmani) | #F0FFFF | |
6 | Beige (बेज़) | गहरा पीला (Gahara Pila) | #F5F5DC | |
7 | Black (ब्लैक) | काला (Kala) | #000000 | |
8 | Blue (ब्लू) | नीला (Neela) | #0000FF | |
9 | Blueviolet (ब्लूवॉइलेट) | नीला बेंगनी (Neela-Baingani) | #8A2BE2 | |
10 | Bronze (बॉन्ज़) | पीतल जैसा रंग (peetal Jaisa Rang) | #CD7F32 | |
11 | Brown (ब्राउन) | भूरा (bhoora) | #A52A2A | |
12 | BurlyWood (बर्लीवुड) | लकड़ी जैसा रंग (lakdi Jaisa Rang) | #DEB887 | |
13 | Carroty (कैरोटी) | कत्थई (katthai) (गहरा लाल), गाजरी (Gajari) (गाजर के जैसा रंग) | #F88017 | |
14 | Chocolaty (चॉकलेटी) | चॉकलेटी (चॉकलेट जैसा रंग) (Chocolaty – Chocolat Jaisa Rang) | #D2691E | |
15 | Clay (क्ले) | मिट्टी जैसा रंग (Mitti Jaisa Rang) | #d4c59c | |
16 | Coral (कोरल) | मूँगिया (मूंगा के जैसा रंग) (Mungiya – Munga Jaisa Rang) | #FF7F50 | |
17 | Crimson (क्रीमसन) | गहरा लाल (Gahara Lal) | #DC143C | |
18 | Cyan (स्यान) | हरिनील (Harinil) | #00FFFF | |
19 | DarkBlue (डार्क ब्लू) | गहरा नीला (Gahara Neela) | #00008B | |
20 | DeepPink (डीप पिंक) | गहरा गुलाबी (Gahara Gulabi) | #FF1493 | |
21 | Dusty/Dust-coloured (डस्टी/डस्ट कलर्ड) | मटमैला (मिट्टी जैसा रंग) (Matmaila – Mitti Jaisa Rang) | ||
22 | FireBrick (फायर ब्रिक) | ईंट जैसा रंग (Int Jaisa Rang) | #B22222 | |
23 | Fuchsia Pink (फूशिया पिंक) | चमकीला गहरा गुलाबी (Chamkila Gahara Gulabi) | #FF00FF | |
24 | Golden (गोल्डन) | सुनहरा (Sunahara) | #FFD700 | |
25 | Grape (ग्रेप) | अंगूरी (अंगूर जैसा रंग) (Angoori – Angoor Jaisa Rang) | #ADFF2F | |
26 | Green (ग्रीन) | हरा (Hara) | #008000 | |
27 | Grey (ग्रे) | ग्रे (धुमैला) (Gray – Dhumil) | #808080 | |
28 | Indigo (इंडिगो) | जामुनी (Jamuni) | #4B0082 | |
29 | Ivory (आइवॉरी) | हाथीदांत जैसा रंग (Hathidaat Jaisa Rang) | #FFFFF0 | |
30 | Judas-coloured (जुड़ास कलर्ड) | कत्थई (गहरा लाल) (katthai – Gahra Lal) | #680000 | |
31 | Khaki (खाकी) | खाकी (khaki) | #F0E68C | |
32 | Lemon (लेमन) | नींबुई (नींबू जैसा पीला रंग) (Nimbui – Nimbu Jaisa Pila Rang) | #FAFA33 | |
33 | Lemon Green (लेमन ग्रीन) | नींबू जैसा हरा (Nimbu Jaisa Hara) | #00FF00 | |
34 | Lime Green (लाइम ग्रीन) | पीला हरा रंग (Pila Hara Rang) | #32CD32 | |
35 | Magenta (मैजेंटा) | रानी (हल्का बैंगनी लाल) (Rani (Halka Baingni Lal) | #FF00FF | |
36 | Maroon (मरून/मैरून) | करौंदिया या भूरा लाल रंग (Karondiya ya Bhura Lal Rang) | #800000 | |
37 | Metallic (मेटालिक) | धातुमय जैसा रंग (Dhatumay – Dhatu Jaisa Rang) | #BCC6CC | |
38 | Mint/MintCream (मिंट/मिंट क्रीम) | टकसाल रंग/टकसाल क्रीम (Taksaal Rang/Taksaal Cream) | #F5FFFA | |
39 | Mustard (मस्टर्ड) | गहरा पीला (सरसों के फूल जैसा रंग) (Gahra Pila – Sarson ke Phool Jaisa Rang) | ##FFDB58 | |
40 | Navy Blue (नेवी ब्लू) | गहरा नीला (Gahra Neela) | #000080 | |
41 | Off White (ऑफ व्हाइट) | धूमिल सफ़ेद (Dhumil Safed) | ##F8F8FF | |
42 | Olive ऑलिव) | जैतून का रंग (Jetun Ka Rang) | #808000 | |
43 | Orange (ऑरेंज) | नारंगी (Narangi) | #FF4500 | |
44 | Pea Green (पी ग्रीन) | मटर हरित (मटर जैसा हरा) (Matar Harit – Matar Jaisa Rang) | #52D017 | |
45 | Pine Green (पाइन ग्रीन) | देवदार हरा (Devdaar Haraa) | #387C44 | |
46 | Pink 9 पिंक) | गुलाबी (Gulabi) | #FFC0CB | |
47 | Plum (प्लम) | बेर रंग (Ber Rang) | #DDA0DD | |
48 | Purple (पर्पल) | बैंगनी (Baingani) | #800080 | |
49 | Red (रेड) | लाल (Red) | #FF0000 | |
50 | Ruby (रूबी) | गहरा लाल रंग (Gahara Lal Rang) | #E0115F | |
51 | Rust (रस्ट) | जंग रंग (Jang Rang) | #b7410e | |
52 | Saffron/Saffrony (सेफरॉन/सेफरॉनी) | केसरिया, जाफरानी, भगवा (Kesariya, Jafrani, Bhagwa) | #F4C430 | |
53 | Silver (सिल्वर) | चांदी जैसा रंग (Chandi Jaisa Rang) | #C0C0C0 | |
54 | Spring Green (स्प्रिंग ग्रीन) | बसंती हरा (Basanti Hara) | #00FF7F | |
55 | Tomato (टोमेटो) | टमाटर जैसा लाल (Tamatar Jaisa Lal) | #FF6347 | |
56 | Turquoise (टर्क्वॉइज़) | फ़िरोज़ा (Firoja) | #40E0D0 | |
57 | Violet (वाइलिट) | हलके नीले रंग (Halake Neele Rang) | #EE82EE | |
58 | Wheat (व्हीट) | गेहुआँ (गेहूँ जैसा रंग) (Gehuan Gehun Jaisa Rang) | #F5DEB3 | |
59 | White (व्हाइट) | सफेद (Safed) | #FFFFFF | |
60 | Yellow (येलो) | पीला (Pila) | #FFFF00 |
Colours Name in English and Hindi video (रंगों ने नाम अंग्रेजी व हिन्दी में वीडियो)
The origin of colors or the science of colors. (रंगों की उत्पत्ति या रंगों का विज्ञान।)
रंगों के नाम तो आप सभी जानते ही है। लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि रंगों की उत्पत्ति कैसे हुई? रंग कैसे बनते है? हमें रंग कैसे दिखाई देते है? रंग कैसे अलग-अलग रंग की वस्तुएं दिखने के पीछे क्या विज्ञान है?
तो आइए आज मैं खोलूँगी रंगों के दिखने का राज!!!
ना-ना आप मुझे कोई वैज्ञानिक या विद्वान मत समझ लेना क्योंकि वैसे भी ये मेरी खोज नहीं है, इसके पीछे न्यूटन का शोध व उस शोध पर कई वैज्ञानिकों का शोध व कई वर्षों के मेहनत है। मैं तो बस आपके पास बस उनकी ही खोज का सारांश बता रही हूँ।
सूर्य की किरणें ही रंगों की उत्पत्ति का प्राकृतिक स्रोत है। इसी से विभिन्न प्रकार के रंगों की उत्पत्ति होती है।
अब आप कहेंगे कि सूर्य की किरणे या प्रकाश तो सफेद होता है। उसमें रंग कहाँ होते है।
1665 में, सर आइज़ैक न्यूटन (Isaac Newton) ने यह खोज की कि सूर्य के श्वेत प्रकाश में दरअसल सात रंग होते हैं। उन्होंने सूर्य की एक किरण शीशे के प्रिज्म के माध्यम से गुजारा, सूर्य की किरण शीशे के प्रिज्म से गुजरने से सात रंगों मे विभाजित हो गई। ये रंग थे – लाल, नारंगी, पीला, हरा, ब्लू, इंडिगो और बैंगनी।
जिसका Short Form सूक्ष्म रूप अंग्रेज़ी भाषा में VIBGYOR और हिन्दी में “बैं जा नी ह पी ना ला” होता है। Violet (बैंगनी), Indigo (नील या जामुनी), Blue (नीला या आसमानी), Green (हरा), Yellow (पीला), Orange (नारंगी), Red (लाल)।
इंद्रधनुष में सात रंग दिखने में भी यही विज्ञान काम करता है। हवा में घुली हुई बारिश के पानी की छोटी-छोटी बुँदे प्रिज्म का काम करती है और सूर्य की किरणे उनमें से गुजर कर सात रंगों में विभाजित हो जाती है और सूर्य के विपरीत दिशा में हमें इंद्रधनुष के रूप में दिखाई देती है।
वास्तव में सूर्य की किरणों में केवल सात रंग ही नहीं होते, बल्कि इसमें अनेकों रंग होते है लेकिन उनकी परते इतनी पतली व पास-पास होती है कि हमें उनके समूह के तौर पर केवल सात रंग ही दिखाई देते है।
अब जब भी आप इंद्रधनुष देखें तो थोड़ा गौर कीजिएगा आपको सात रंगों की धारियों के मध्य में कुछ हल्की धारियाँ भी दिखाई देंगी।
अब हम जानते है कि हमें अपने आस-पास की वस्तुएं इतनी रंग-बिरंगी क्यों दिखाई देती है। फूलों-पत्तियों और तितलियों में इतने सारे रंग आते कहां से हैं?
इसके पीछे भी विज्ञान है। जब भी किसी वस्तु पर सूर्य की किरण पड़ती है, तो इन किरणों में मौजूद अलग-अलग रंग की या तो वस्तु में अवशोषित (सोख ली जाती है) हो जाती हैं, या परावर्तित (टकराकर वापस लौट जाती है – “प्रतिबिम्बत”) हो जाती है।
तो जिस रंग की तरंग-दैर्ध्य वस्तु द्वारा परावर्तित कर दी जाती है वह वस्तु हमें उसी रंग की दिखाई देने लगती है।
जैसे जो वस्तु हमें काली दिखाई देती है वह वस्तु सूर्य के प्रकाश में मौजूद सभी रंगों को सोख लेती है इस कारण वहाँ कोई भी रंग शेष नहीं रहता और वस्तु का रंग हमें काला दिखाई देता है।
ऐसे ही जब कोई वस्तु वह वस्तु सूर्य के प्रकाश में मौजूद सभी रंगों को परावर्तित कर देती है इस कारण वस्तु का रंग हमें सफेद दिखाई देता है।
जब कोई वस्तु लाल व पीला रंग परावर्तित करती है तो वह वस्तु हमें नारंगी रंग की नजर आती है।
हर वस्तु सूर्य की किरणों में मौजूद रगों में से रंगों अपवर्तन और परावर्तन करती है। वस्तु जिस अनुपात में रंगों का अपवर्तन और परावर्तन करती है, वह वस्तु हमें उसी रंग की दिखाई देती है। इसी प्रकार से सभी वस्तुओं हमें अलग-अलग रंगों में दिखाई देती है।
सूर्य की रोशनी सफेद क्यों दिखाई देती है?
आपके दिमाग में या कीड़ा भी कुलबुला रहा होगा कि जब सूर्य के प्रकाश में इतने सारे रंग है तो सूर्य का प्रकाश हमें सफेद क्यों दिखाई देता है?
इसको भी हम सर आइज़ैक न्यूटन (Isaac Newton) के एक प्रयोग से समझ सकते है।
अपनी खोज कि “सूर्य का प्रकाश सफेद नहीं बल्कि कई रंगों की किरणों का एक समूह है”, को समझाने के लिए उन्होनें एक गोलाकार चक्र लिया जो अलग-अलग रंगों के कई हिस्सों में बँटा हुआ था। फिर उन्होंने इसे जोर से घुमाया तो सामने से देखने वालों को उस चक्र में सफेद रंग ही दिखाई दिया।
आप स्वयं भी ऐसा कर के देख सकते है। बच्चों को यदि आप इस उदाहरण के द्वारा संझाएंगे तो वे जल्दी समझेंगे और उन्हें यह हमेशा के लिए याद भी रहेगा।
सूरज सूर्योदय और सूर्यास्त पर लाल क्यों दिखाई देता है?
अब आपके मन में यह प्रश्न ब उठ रहा होगा कि जब सूर्य के प्रकाश में सभी रंग है तो सूर्योदय और सूर्यास्त समय सूरज लाल क्यों दिखाई देता है? तो चलिए यह भी जान लेते है: –
सूर्य की प्रकाश के सभी रंगों में से लाल रंग का तरंगदैर्ध्य सबसे अधिक होता है। जिस रंग का तरंगदैर्ध्य अधिक होता है, वह ज्यादा दूरी तक दिखाई देता है।
यह इसलिए होता है क्योंकि यह पृथ्वी के वातावरण में धूल और जल वाष्प के कणों के कारण प्रकाश की किरणे बिखर जाती है।
प्रकाश के रंगों (बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी, लाल) के क्रमानुसार बैंगनी रंग सबसे ज्यादा तथा लाल रंग सबसे कम फैलता है। इसलिए यह ज्यादा दूर तक पँहुच पाता है।
सूर्योदय और सूर्यास्त के समय एक तो सूर्य हमसे सबसे ज्यादा दूर होता है इसलिए सूर्य के प्रकाश को सबसे ज्यादा दूरी तय करनी पड़ती है; और दूसरे सूर्य का प्रकाश जमीन के बहुत पास से गुजरता हुआ हम तक पँहुचता है।
जमीन के पास में धूल व जल वाष्प के कण सघन मात्रा में होते है, इस कारण प्रकीर्णन (बिखरने/फैलने) की प्रक्रिया ज्यादा होती है और कम तरंगदैर्ध्य वाले रंग फैल कर जल्दी खत्म हो जाते है।
प्रकाश के लाल और नारंगी रंग के अलावा अन्य रंग हमारी आँखों तक पहुँच ही नहीं पाते। केवल लाल और नारंगी रंग ही हम तक पँहुच पाते है। इसलिए सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य लाल रंग का दिखाई देता है।
सूरज दोपहर या दिन के समय सफेद क्यों दिखाई देता है?
अब आप सोच रहे होंगे कि जब धूल के कणों के कारण सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य लाल रंग का दिखाई देता है तो धूल के कण तो वायुमंडल में हर समय होते है तो फिर दोपहर या दिन के समय सूरज सफेद क्यों दिखाई देता है?
तो भई इसके पीछे का विज्ञान भी जान ही लेते है: –
दोपहर और दिन के समय में सूर्य की पृथ्वी से दूरी कम होती है इसलिए सूर्य के प्रकाश को कम दूरी तय करनी पड़ती है और यह बिल्कुल हमारे सर के ऊपर ही होता है और वायुमंडल की ऊपरी सतह से गुजरते हुए हम तक पँहुचता है, जहाँ धूल व जल वाष्प के कण कम मात्रा में होते है।
इस समय सूर्य का प्रकाश कम दूरी तय करता है और उसे सूर्योदय और सूर्यास्त के वनिस्पत कम धूल व जल वाष्प के कणों का सामना करना पड़ता है।
इसलिए प्रकीर्णन कम मात्रा में होता है और सूर्य की किरणों के सभी रंग पृथ्वी तक पँहुच जाते है और सूरज हमें सफेद दिखाई देता है।
आकाश हमें नीला क्यों दिखाई देता है?
अब आप सोच रहे होंगे कि सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य लाल और दोपहर या दिन के समय सूरज सफेद दिखाई देता है तो फिर आकाश भी हमें उसी रंग का दिखाई देना चाहिए। लेकिन आकाश तो हमें नीला दिखाई देता है, ऐसा क्यों?
इसका कारव किरणों का तरंगदैर्ध्य और प्रकाश का प्रकीर्णन होता है। आइए जानते है: –
सूर्य के किरणें सात रंगों से मिलकर बनती हैं। पृथ्वी के वातावरण में धूल और जल वाष्प के कण अधिक मात्रा में होते हैं। जब सूर्य की किरणें पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करती हैं, तो वायुमंडल में स्थित इन छोटे-छोटे कणों से टकराकर बिखर जाती हैं। इस प्रक्रिया को सरल भाषा में प्रकाश का प्रकीर्णन कहते हैं।
इसके अलावा प्रकाश के सभी रंगों में से बैंगनी और नीले रंग का तरंगदैर्ध्य सबसे कम होता है इसलिए इनमें फैलने की क्षमता सबसे अधिक होती है। जब प्रकाश के सभी रंग धूल और जल वाष्प के छोटे कणों से टकरा कर बिखरते है तो बैंगनी और नीला रंग सबसे ज्यादा फैलते है।
लेकिन बैंगनी रंग नीले से ज्यादा फैलता है इसलिए नीला रंग बैंगनी रंग के मुकाबले ज्यादा दूरी तय करता है और हमारी आँखों तक पँहुचता है। इसलिए आकाश हमें नीला दिखाई देता है।
आपने सूर्योदय के समय देखा होगा कि सूर्य के आस-पास का आकाश भी लाल दिखाई देता है और बाकी का नीला!
ये भी इसलिए होता है कि सुबह और शाम के समय दूरी और कणों की सघनता के कारण बैंगनी और नीला रंग बहुत पहले ही फैल कर समाप्त हो जाता है जबकि बाकी सभी जगह इसके विपरीत होता है अर्थात दूरी और कणों की सघनता कम होती है।
आग का रंग लाल क्यों होता है?
लकड़ी, कोयला, मिटटी का तेल (Kerosine Oil), पेट्रोल, आदि सभी ज्वलनशील पदार्थों में मुख्य रूप से कार्बन और हाइड्रोजन होते हैं। जब ये पदार्थ जलते है तो ऑक्सीजन से संयोग करके कार्बन डाई ऑक्साइड और पानी बनाते हैं और हवा में भी धूल के बारीक कण मौजूद होते है।
आग की गर्मी से ये कार्बन और धूल के कण लाल हो जाते है और आग हमें लाल रंग की दिखाई देती है।
दर्पण का रंग कैसा होता है?
दर्पण काँच का बना होता है और काँच वास्तव में पारदर्शी होता है। जिसमें कुछ भी देखना संभव नहीं होता क्योंकि यह ना तो किसी रंग को अपवर्तित करता है और ना ही परावर्तित। इसमें से प्रकाश की किरणे टकराकर वापस नहीं आती बल्कि दूसरी और चली जाती है।
काँच से दर्पण बनाने के लिए काँच की टुकड़े के एक तरफ चाँदी या पारे की पतली परत चढ़ा दी जाती है और फिर इसे सुरक्षित बनाए रखने के लिए किसी गहरे रंग से पेंट कर दिया जाता है। जिससे इस प्रकार दर्पण में से होकर प्रकाश दूसरी ओर नहीं जा पाता और टकराकर वापस आ जाता है।
इसलिए जिस रंग का प्रकाश उसमें पड़ता है वही रंग दर्पण से टकराकर वापस आ जाता है और वही रंग हमें दिखाई देता है। अत: दर्पण का स्वयं का कोई रंग नहीं होता।
रंगों के प्रकार
रंगों के प्रकार इस अवधारणा पर आधारित है कि सभी रंग तीन रंगों के मिश्रण से बनेते है। लेकिन ये पहले तीन रंग कौन से होंगे यह रंग प्रणाली (Colour System) पर निर्भर करता है। अलग-अलग कार्यों के लिए अलग-अलग रंग प्रणाली (Colour System) निर्धारित होती है।
रंग प्रणाली (Colour System) के बारे में हम बाद में बात करेंगे। पहले चलते है रंगों के प्रकार पर।
रंगों के मुख्यत: तीन प्रकार होते है, प्राथमिक रंग, द्वितीयक रंग, और तृतीयक रंग। लेकिन उनके परस्पर संबंधों, प्रकृति, और मिश्रण के आधार पर हम उन्हें छः भागों में भी विभाजित कर सकते है।
प्राथमिक रंग
प्राथमिक रंग वे होते है जिनके मिश्रण से अन्य रंगों का निर्माण होता है। प्रत्येक रंग प्रणाली (Colour System) में ये तीन होते हैं।
जैसे:- RGB रंग प्रणाली (Colour System) के तीन प्राथमिक रंग हैं: –
- लाल (Red)
- हरा (Green)
- नीला (Blue)
ये मौलिक रंग होते है। इन्हीं के अलग-अलग आनुपातिक मिश्रण से अन्य रंग बनाये जाते हैं।
द्वितीयक रंग
किन्हीं दो प्राथमिक रंगों को मिलकर जो रंग बनते है उन्हें द्वितीयक रंग कहते हैं। यह भी संख्या में तीन ही होते है। जैसे: –
- लाल (Red) + हरा (Green) = पीला (Yellow)
- हरा (Green) + नीला (Blue) = सियान (Cyan)
- नीला (Blue) + लाल (Red) = रानी/मैजेंटा (Majenta)
तीनों प्राथमिक रंगों को एक साथ मिलाने से सफेद रंग या सफेद प्रकाश बनता है।
तृतीयक या समीपवर्ती रंग
एक प्राथमिक और एक द्वितीयक रंग को मिलाकर बनने वाले रंग को तृतीयक रंग कहते हैं। इनकी संख्या छ: होती है। चूंकि ये रंग पहिये (Colour Wheel) में पास-पास में होते है इसलिए इन्हें समीपवर्ती रंग भी कहते है। जैसे: –
- लाल + पीला = लाल-पीला
- हरा + पीला = हरा-पीला
- हरा + सियान = हरा-सियान
- नीला + सियान = नीला-सियान
- नीला + मैजेंटा = नीला-मैजेंटा
- लाल + मैजेंटा = लाल-मैजेंटा
पूरक या विरोधी रंग
रंग पहिये (Colour Wheel) में एक दूसरे की विपरीत दिशा में आने वाले रंग एक-दूसरे के पूरक रंग होते है। अथवा ये भी कहा जा सकता है किन्हीं भी दो प्राथमिक रगों के मिश्रण से बना रंग बचे हुए तीसरे रंग का पूरक या विरोधी रंग होता है।
जैसे: – लाल + हरा = पीला रंग बचे हुए तीसरे रंग अर्थात नीले का विरोधी/पूरक है और नीला रंग पीले रंग का पूरक है।
पूरक रंगों की एक विशेषता यह भी होती है कि जब दो पूरक रंगों को आपस में मिलाते है ती सफेद रंग बनता है। इसलिए यह भी कहा जा सकता है, जो रंग परस्पर मिलने पर श्वेत प्रकाश उत्पन्न करते हैं, उन्हें पूरक रंग कहते हैं। जैसे: –
लाल + सियान = सफेद
हरा + मैजेंटा = सफेद
नीला + पीला = सफेद
लाल, हरा और नीला प्राथमिक रंग है और सियान, मैजेंटा और पीले रंग द्वितीयक रंग है जो अन्य दो प्राथमिक रंगों को मिलाने से बने है। इस प्रकार एक प्राथमिक रंग और बचे हुए दो रंगों से बने द्वितीयक रंग को मिलाने से तीनों रंग आपस में मिल जाते है और सफेद रंग या प्रकाश उत्पन्न करते है।
ऐसा इसलिए क्योंकि जैसा कि मैं पहले ही बता चुकी हूँ कि तीनों प्राथमिक रंगों को मिलाने से सफेद रंग बनता है।
लेकिन जो रंग हम दैनिक जीवन में प्रयोग में लेते है उन रंगों को मिलाने से इस प्रकार के रंग प्राप्त नहीं होते, क्योंकि एक तो दैनिक जीवन में प्रयोग में लाए जाने वाले रंगों में अशुद्धियाँ होती हैं और दूसरे अलग-अलग रंग पहियों में प्राथमिक रंग अलग-अलग होते है इसलिए इनका प्रभाव भी अलग होता है। इसलिए प्रकाश के रंगों में ही पूरक रंगों की यह परिभाषा उपयुक्त है।
उष्ण तथा शीतल रंग
सूर्य के प्रकाश के हिसाब से देखा जाये तो लाल रंग सबसे गरम व नीला रंग सबसे शीतल होता है।
इसलिए जिस रंग में लाल रंग का प्रभाव ज्यादा होता है वे उष्ण रंग कहलाते है; जैसे: – लाल, नारंगी पीला। इन रंगों को मिलाकर बनने वाले सभी रंग उष्ण रंगों की श्रेणी में आते है।
जिस रंग में नीले रंग का प्रभाव ज्यादा होता है, वे शीतल रंग कहलाते है; जैसे: – नीला, आसमानी, हरा। इन रंगों को मिलाकर बनने वाले सभी रंग शीतल रंगों की श्रेणी में आते है।
उदासीन/अवर्णीय या तटस्थ रंग
काला और सफेद रंग अवर्णीय रंगों की श्रेणी में आते है, क्योंकि वास्तव में ये दोनों रंग है ही नहीं। सफेद रंग में वस्तु सूर्य के प्रकाश के सभी रंगों को परावर्तित कर देती है और काले रंग में वस्तु सूर्य के प्रकाश के सभी रंगों का को सोख लेती है और वहाँ कोई भी रंग नहीं बचता।
इन दोनों ही रंगों का उपयोग किसी भी रंग को गहरा या हल्का करने के लिए किया जाता है, इसलिए इन्हें उदासीन रंग या तटस्थ रंग भी कहते हैं। जैसे: – लाल रंग में सफेद रंग मिलाने से गुलाबी रंग और लाल रंग में काला रंग मिलाने पर कत्थई रंग बनता है।
Colour Wheel (रंग पहिया / रंग चक्र)
रंग पहिया/रंग चक्र (Colour Wheel) एक वृत्ताकार या त्रिभुजाकार आकृति है जिसमें प्राथमिक रंगों को आपस में मिलाने से बनने वाले द्वितीयक रंग और प्राथमिक रंगों व द्वितीयक रंगों के मिश्रण से बनने वाले तृतीयक या समीपवर्ती रंगों को दर्शाया जाता है।
अलग-अलग विद्वानों ने अपने शोध करके इन्हें बनाया है और आज ये रंग पहिया/रंग चक्र (Colour Wheel) अलग-अलग कार्यों में अपनी भूमिका निभा रहे है।
पहले हम इन रंग चक्रों के निर्माण के बारे में जान लेते है।
रगों का इतिहास और रंग चक्रों का निर्माण
यह तो आप जान ही चुके है कि आइज़ैक न्यूटन (Isaac Newton) ने यह प्रमाणित किया था कि सूर्य का सफेद प्रकाश असल में रंगीन होता है। उसमें सात रंगों का समावेश होता है। यह प्रयोग करते समय उन्होंने यह भी पाया कि इन सात रंगों के मध्य में कुछ अन्य रंगों का भी समावेश है जो कि उनके आपस के मिश्रण पर बन रहे है।
जब उन्होंने रंगावली (Spectrum) के पहले रंग “लाल” और आखरी रंग “बैंगनी” को आपस में मिलाया तो वह मैजेंटा में बदल गया। इससे यह सिद्ध हुआ कि सूर्य के प्रकाश में दिखाई देने वाले सात रंग ही सभी रंगों के जनक है और इनके मिश्रण से अन्य रंग बनाए जा सकते है।
न्यूटन ने प्रकाश का रंगों के सिद्धांत को विकसित किया और बताया कि सभी रंग लाल, हरे और नीले प्रकाश का मिश्रण हैं। इसी सिद्धांत पर उन्होनें सन् 1666 में सबसे पहला रंग चक्र बनाया था।
सन् 1704 तक न्यूटन ने रंगों पर और भी शोध किये और अपने मूल रंग चक्र में इन शोधों से संबंधित परिणामों के अनुसार कुछ और परिवर्तन किये और अपने इसी सिद्धांत को भी आगे बढ़ाया कि लाल, पीला और नीला प्राथमिक है और इन्हीं तीन रंगों से अन्य सभी रंग व्युत्पन्न हुए है।
लेकिन न्यूटन द्वारा बनाया गया रंग चक्र पूरी तरह से सटीक और स्पष्ट नहीं था, इसलिए इसके बाद भी कई वैज्ञानिकों ने रंगों पर शोध किया और ज्यादा प्रभावशाली और स्पष्ट रंग चक्र बनाए।
बाद में रंगीन पहियों के विकास में न्यूटन के सिद्धांत और रंग चक्र ने एक प्रभावशाली मार्गदर्शक की भूमिका निभाई, जिससे हमें आज इस्तेमाल होने वाले प्रभावशाली रंग चक्र मिल पाए।जिनके कारण छपाई, फोटोग्राफी और चित्रकारी के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव हुए।
सन् 1766, में महान वैज्ञानिक मोसेस हैरिस (Moses Harris) ने एक फ्रेंच चित्रकार (French Painter) के इस सिद्धांत कि सभी रंग लाल, पीले और नीले रंगों के मिश्रण हैं, पर शोध किया।
इसेके लिए उन्होंने इस सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए चित्रकारी के काम में आने वाले रंगों के साथ कई प्रयोग किए, और यह बताया कि तीन प्राथमिक रंगों लाल, पीले और नीले को आपस में मिलाने से असंख्य रंग बनाए जा सकते है।
इसी सिद्धांत पर उन्होंने RYB रंग चक्र (Colour Wheel) का निर्माण किया।
इसके बाद उन्नीसवीं सदी के महान साइंटिस्ट जेम्स क्लार्क मैक्सवेल ने भी न्यूटन के प्रकाश के रंगों पर अपना शोध किया और यह प्रमाणित किया कि प्रकाश के सात रंगों में से तीन रंगों से ही सारे रंग बनाए जा सकते है।
ये रंग थे लाल, हरा, और नीला। इसी आधार पर उन्होनें उन्होनें न्यूटन द्वारा बनाए गए रंग चक्र में कुछ सुधार करते हुए एक नया संशोधित RGB रंग चक्र (RGB Color Wheel) बनाया। उनके इसी सिद्धांत ने दुनियाँ को रंगीन फोटोग्राफी से परिचित करवाया।
मैक्सवेल की इस खोज ने दुनिया को रंगीन छपाई, रंगीन फोटोग्राफी के क्षेत्र में आगे बढ़ने का आधार दिया। रंगीन छपाई, रंगीन फोटोग्राफी के क्षेत्र में उन्नति जेम्स क्लार्क मैक्सवेल की खोज के बाद ही तेजी से हुई।
वर्तमान समय में हर प्रकार की रंगीन छपाई मशीनें, रंगीन फोटोग्राफी कैमरा, रंगीन टी.वी. और कंप्यूटर मॉनिटर, फोन स्क्रीन आदि सभी इसी सिद्धांत के आधार पर कार्य करते हैं।
आज हम मुख्य रूप से तीन तरह के रंग पहिया/रंग चक्र (Colour Wheel) का उपयोग कई कार्यों में करते है। आइए जानते है इन तीनों रंग चक्रो (Colour Wheels) के बारे में: –
The RGB Color Wheel (आरजीबी रंग चक्र) –
RGB रंग चक्र (Color Wheel) सूर्य की किरणों के रंगों पर आधारित है इसलिए इसे प्रकाश का रंग (The Colour of Light) भी कहते है।
RGB रंग चक्र (Color Wheel) के प्राथमिक रंग लाल (Red), हरा (Green), और नीला (Blue) हैं।
RGB रंग चक्र (Color Wheel) के द्वितीयक रंग (जो प्राथमिक रंगों लाल, हरे और नीले रंगों को मिलाने से बनते है) हैं: –
- लाल (Red) + हरा (Green) = पीला (Yellow)
- हरा (Green) + नीला (Blue) = सियान (Cyan)
- नीला (Blue) + लाल (Red) = रानी/मैजेंटा (Majenta)
RGB रंग चक्र (Color Wheel) के तृतीयक रंग (जो एक प्राथमिक रंग और एक द्वितीयक रंग को मिलाने से बनते है) हैं: –
- लाल + पीला = लाल-पीला
- हरा + पीला = हरा-पीला
- हरा + सियान = हरा-सियान
- नीला + सियान = नीला-सियान
- नीला + मैजेंटा = नीला-मैजेंटा
- लाल + मैजेंटा = लाल-मैजेंटा
RGB रंग चक्र तीन प्राथमिक प्रकाश स्रोतों (Red – लाल, Green – हरा, Blue – नीला) का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए टीवी, मोबाइल, कैमरे और कंप्यूटर स्क्रीन आदि पर रंग दर्शाने के लिए इसी रंग चक्र का प्रयोग किया जाता है।
The RYB Color Wheel (आरवाईबी रंग चक्र) –
RYB रंग चक्र (Color Wheel) पेंट (चित्रकारी) के रंगों पर आधारित है इसलिए इसे पेंट (चित्रकारी) का रंग (The Color of Paint) भी कहते है।
RYB रंग चक्र (Color Wheel) के प्राथमिक रंग लाल, पीला और नीला हैं।
RYB रंग चक्र (Color Wheel) के द्वितीयक रंग (जो प्राथमिक रंगों लाल, पीले और नीले रंगों को मिलाने से बनते है) हैं: –
- लाल (Red) + पीला (Yellow) = नारंगी (Orange)
- पीला (Yellow) + नीला (Blue) = हरा (Green)
- नीला (Blue) + लाल (Red) = बैंगनी (Purple)
RYB रंग चक्र (Color Wheel) के तृतीयक रंग (जो एक प्राथमिक रंग और एक द्वितीयक रंग को मिलाने से बनते है) हैं: –
- लाल + नारंगी = लाल-नारंगी
- पीला + नारंगी = पीला-नारंगी
- पीला + हरा = पीला-हरा
- नीला + हरा = नीला-हरा
- नीला + बैंगनी = नीला-बैंगनी
- लाल + बैंगनी = लाल-बैंगनी
RYB रंग चक्र (Color Wheel) उन रंगों की पहचान करने के लिए सबसे अच्छा है, जिन्हें एक साथ उपयोग में लेने से मनभावन रंग योजनाएं बनाई जा सकती है।
The CMY(K) Color Wheel (सीएमवाय(के) रंग चक्र) –
CMY(K) रंग चक्र (Color Wheel) का प्रयोग प्रिंटिंग के लिए किया जाता है। इसमे RGB रंग चक्र (Color Wheel) के द्वितीयक रंग (सियान, मैजेंटा, और पीला) ही प्राथमिक रंग होते है।
CMY(K) रंग चक्र (Color Wheel) के प्राथमिक रंग सियान (Cyan), रानी/मैजेंटा (Majenta), और पीला (Yellow) हैं।
CMY(K) रंग चक्र (Color Wheel) के द्वितीयक रंग (जो प्राथमिक रंगों लाल, हरे और नीले रंगों को मिलाने से बनते है) हैं: –
- सियान (Cyan) + रानी (Majenta) = नीला (Blue)
- रानी (Majenta)+ पीला (Yellow) = लाल (Red)
- पीला (Yellow) + सियान (Cyan) = हरा (Green)
CMY(K) रंग चक्र (Color Wheel) के तृतीयक रंग (जो एक प्राथमिक रंग और एक द्वितीयक रंग को मिलाने से बनते है) हैं: –
- सियान + हरा = सियान-हरा
- पीला + हरा = पीला-हरा
- पीला + लाल = पीला-लाल
- मैजेंटा + लाल = मैजेंटा-लाल
- मैजेंटा + नीला = मैजेंटा-नीला
- सियान + नीला = सियान-नीला
रंगों का हमारे जीवन पर प्रभाव
रंगों से केवल दुनियाँ ही खूबसूरत नहीं लगती ये हमारे मन-मस्तिष्क को भी प्रभावित करते है। आपने खुद ने भी महसूस किया होगा कि कुछ रंगों को देखकर हमारी आँखों को ठंडक मिलती है तो कुछ रंग हमारी आँखों में खटकते है।
कुछ रंगों को देखकर मन उद्विगन होने लगता है तो कुछ रंगों को देखकर मन में शांति का अनुभव होता है। कुछ रंगों को देखकर मन में उल्लास छा जाता है तो कुछ रंग हमें मायूस कर देते है।
रंगों का मानव के स्वास्थ्य से गहरा सम्बन्ध होता हैं क्योंकि ये हमारी मनोस्थिति, व्यवहार व विचारों पर अपना गहरा प्रभाव डालते है। प्राचीनकाल से ही यह माना जाता रहा है कि रंगों का मानव के मनोविज्ञान और मनोस्थिति से गहरा सम्बन्ध होता है।
आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में तो रंगों से मनुष्य के कई शारीरिक व मानसिक रोगों की चिकित्सा की जाती है। भारत वर्ष में तो प्राचीन काल से ही ऋषि-मुनियों, आयुर्वेदिक व प्राकृतिक चिकित्सकों के द्वारा रंग व प्रकाश चिकित्सा पद्धति के द्वारा कई रोगों का इलाज किया जाता रहा है।
इस पद्धति में यह माना जाता है कि अधिकतर शारीरिक रोगों का कारण व्यक्ति के मन से जुड़ा हुआ होता है। यदि मन पर नियंत्रण कर लिया जाये तो कई बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। मन पर नियंत्रण करने में रंगों का विशेष महत्त्व होता है।
रंगों के उचित संयोजन से मानव की विचारों, भावनाओं, बुद्धि और शारीरिक गतिविधियों में समन्वय किया जा सकता है। जैसे लाल रंग माँ में उत्तेजना, रोमांस व क्रोध को बढ़ाता है और सफेद रंग मन को शांत करता है।
प्राचीन समय में दिल्ली में एक विश्व प्रसिद्ध औषधालय भी था, जहाँ पर रंगों तथा प्रकाश के द्वारा साधारण ही नहीं असाध्य व जटिल रोगों का भी सफल इलाज किया जाता था।
लेकिन 19 वीं शताब्दी के समय इस चिकित्सा पद्धति का उपयोग कम हो गया लेकिन आज आधुनिक विज्ञान भी रंगों के मनोविज्ञान को स्वीकार करता है। अनेक शोधों से यह स्पष्ट हुआ है कि रंग मानव की मनोस्थिति पर अपना प्रभाव डालते है।
आजकल फिर से रंग और प्रकाश चिकित्सा पद्धति प्रसिद्ध हो रही है तथा कई असाध्य रोगों का इलाज भी इस पद्धति से किया जा रहा है।
कौन-सा रंग क्या कहता है? रंगों का प्रभाव
क्या आपको पता है रंगों की भी अपनी भाषा होती है। रंगों से हम अपनी भावनाओं को भी व्यक्त कर सकते है। अलग-अलग रंग अलग-अलग भावनाओं का प्रतीक होता है।
चलिए जानते है कि कौन-सा रंग क्या कहता है?
रंग | रंगों की भाषा/रंगों का प्रभाव |
---|---|
गहरा लाल | क्रोध, उत्तेजना, शक्ति व हिंसा |
चमकदार और शुद्ध लाल | प्रेम, मिलन, मादकता, चाह और लालसा |
मध्यम लाल | स्वास्थ्य और सौभाग्य |
गुलाबी | स्त्रीत्व, शर्म, हया , प्रेम, रोमांस, नज़ाकत, कोमलता, सरलता और बचपन |
नारंगी | वैराग, महत्वाकांक्षा, संघर्ष और तीव्रता |
गेरुआ | वैराग्य, त्याग, समर्पण, संयम और सात्त्विकता |
हल्का सुनहरा | मोहकता, मदहोशी |
मध्यम व गहरा सुनहरा | सम्पन्नता व वैभव |
पीला | उल्लास, खुशी, स्फूर्ति, अच्छाई, दोस्ती, आत्मविश्वास, और बुद्धिमत्ता (हल्का पीला – ईर्ष्या, द्वेष) |
नीला | ईमानदारी, विश्वास, बल, पौरूष और वीरता, धर्मनिरपेक्षता और आध्यात्म (गहरा नीला – अवसाद और निराशा) |
आसमानी | विशालता, शांति, सुख, शीतलता, धैर्य, और आध्यात्म |
हरा | समृद्धि, प्रगति, उर्वरता, प्रकृति, सौभाग्य और खुशहाली |
सफेद | शुद्धता, पवित्रता, तृप्ति, विद्या, सत्य और शांति |
केसरिया | त्याग, बलिदान, वीरता और शौर्य |
काला | सम्मान, रुतबा, ताकत, विलासिता, नि:शब्दता, प्रतिशोध, द्वन्द, न्याय, रहस्य, मौत, मातम, दुख और घृणा |
Conclusion – अंतिम शब्द
मैं समझती हूँ छोटे बच्चों व उनके माता-पिता के लिए तो यह लेख बहुत ही फायदेमंद होगा। उन्हें इस लेख के द्वारा रंगों के बारे में भूत सारी जानकारी मिल गई है।
वैसे तो रंगों के बारे में कितना भी लिखा जा सकता है, लेकिन एक ही पोस्ट में सब लिखना संभव नहीं है। इसलिए मैंने रंगों से जुड़ी कुछ आवश्यक जानकारी ही दी है। जिसमें रंगों के नाम अंग्रेजी व हिन्दी में बताने के साथ-साथ उनके HTML कोड भी बताए है।
इसके साथ ही मैंने रंगों की उत्पत्ति, अलग-अलग रंग पहियों और उनके आविष्कार और रंगों का हमारे जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में भी थोड़ा-बहुत बताया है। मेरा मानना है कि यह लेख केवल छोटे बच्चों के लिए ही नहीं, पेंट, चित्रकारी की शुरुआत करने वालों के लिए भी लाभदायक होगा।
आपको मेरी यह Post कैसी लगी। यदि अच्छी लगी तो like और share जरूर कीजिए और आपको लगता है कि मुझसे इसमें किसी प्रकार की कोई त्रुटि रह गई हो तो जरूर बताइए मैं अपनी गलती सुधारने का पूरा प्रयास करूंगी। मुझे आपके अच्छे-बुरे या सुधार करवाने वाले Comments का बेसब्री से इंतजार रहेगा।
बाय-बाय!
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FAQ’s
कौन सा रंग शांति का प्रतीक है?
सफेद रंग सात रंग शांति का प्रतीक है। पुराने समय में युद्ध में शांति वार्ता या संधि करने के लिए सफेद झंडे का प्रयोग किया जाता था।
इंद्रधनुष में कितने रंग होते है? इंद्रधनुष के रंगों के नाम बताओ।
इंद्रधनुष में सात रंग होते है। इंद्रधनुष के रंगों के नाम है: – (VIBGYOR) – Violet (बैंगनी), Indigo (जामुनी), Blue (नीला), Green (हरा), Yellow (पीला), Orange (नारंगी), Red (लाल)।
प्रकाश किस रंग का होता है?
वैसे तो प्रकाश हमें सफेद दिखाई देता है, लेकिन दरअसल यह सात रंगों का होता है। 1665 में, सर आइज़ैक न्यूटन (Isaac Newton) ने यह खोज की कि सूर्य के श्वेत प्रकाश में दरअसल सात रंग होते हैं। उन्होंने सूर्य की एक किरण शीशे के प्रिज्म के माध्यम से गुजारा, सूर्य की किरण शीशे के प्रिज्म से गुजरने से सात रंगों मे विभाजित हो गई। ये रंग थे – Violet (बैंगनी), Indigo (जामुनी), Blue (नीला), Green (हरा), Yellow (पीला), Orange (नारंगी), Red (लाल)।
कौन सा रंग क्रोध का प्रतीक है? कौन सा रंग क्रोध को दर्शाता है?
लाल रंग रंग क्रोध का प्रतीक है। इसी रंग से क्रोधक्रोध, उत्तेजना, शक्ति व हिंसा आदि को दर्शाया जाता है।
कौन सा रंग प्रेम का प्रतीक है?
वैसे तो लाल रंग क्रोध का प्रतीक है लेकिन प्रेम को दर्शाने के लिए भी लाल रंग का प्रयोग किया जाता है। जैसे प्रेम को जाहीर करने के लिए लाल गुलाब दिया जाता है।
प्राथमिक रंग कौन-कौन से होते हैं?
प्रकाश के रंगों से देखा जाये तो प्राथमिक रंग तीन होते है: – लाल (Red), हरा (Green), और नीला (Blue)।
द्वितीयक रंग किसे कहते हैं?
किन्हीं दो प्राथमिक रंगों को मिलकर जो रंग बनते है उन्हें द्वितीयक रंग कहते हैं। यह भी संख्या में तीन ही होते है। जैसे: – लाल + हरा = पीला
विरोधी रंग कौन से होते हैं?
रंग पहिये (Colour Wheel) में एक दूसरे की विपरीत दिशा में आने वाले रंग एक-दूसरे के पूरक रंग होते है। अथवा ये भी कहा जा सकता है किन्हीं भी दो प्राथमिक रगों के मिश्रण से बना रंग बचे हुए तीसरे रंग का पूरक या विरोधी रंग होता है। जैसे: – लाल + पीला = नारंगी रंग बचे हुए तीसरे रंग अर्थात नीले का पूरक है और नीला रंग हरे रंग का पूरक है।