देशी घी के फायदे – Desi Ghee Ke Fayade
देशी घी के फायदे – deshi Ghi Ke Phayde – Benefits of Deshi Ghee
आजकल जिसे देखो वही घी कम खाने की सलाह देता है। ऐसा माना जाता है कि घी खाने से मोटापा बढ़ता है, इसका सेवन हमारे दिल के लिए नुकसानदायक होता है। इसे खाने से कई बीमारियाँ हो जाती है। लेकिन प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के अनुसार देशी घी के उचित मात्रा में सेवन करने से अतिरिक्त वसा हटती है और शरीर हृष्ट-पुष्ट होता है।
देशी घी में पाचन तंत्र को सक्रीय करने वाले तत्व पाए जाते है, जिससे हमारा पाचन तंत्र सुचारू रूप से कार्य करता है जिससे हमारे शरीर में वसा (Fat) नहीं जमती और खराब कोलेस्ट्रोल (Bad Cholesterol) भी कम होता है। लेकिन “अति सर्वत्र वर्जते” किसी भी बस्तु का अत्यधिक प्रयोग नुकसानदायक ही होता है। इसलिए हमें घी का नियमित रूप से सेवन जरुर करना चाहिए, लेकिन सिमित मात्रा में।
अच्छी सेहत के लिए घी का सेवन करना बहुत फायदेमंद माना जाता है। हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में भी इसका जिक्र मिलता है, इसीलिए हमारे बुजुर्ग लोग भी देशी घी खाने की सलाह देते रहते हैं। देशी घी खाने के अनगिनत फायदे है, इसी कारण इसे भोजन में शामिल करने को इतना महत्व दिया जाता है।
देशी घी भोजन के स्वाद को बढ़ाने के साथ-साथ हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए बहुत ही अच्छा होता है। घी का सेवन बच्चों से लेकर बड़ो तक सभी के लिए फायदेमंद है। यह हमारे शरीर को ताकत देता है और हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति (Immunity) को बढ़ाकर कई बीमारियों से बचाने में सहायक होता है।
देशी घी गाय और भैंस दोनों के दूध से बनाया जा सकता है। हालांकि गाय के दूध से बना घी अधिक स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है, लेकिन गाय देसी होनी चाहिए। आर्युवेद के अनुसार गाय के घी का प्रयोग कई बिमारियों के इलाज में भी किया जाता है। भैंस के दूध में गाय के दूध की अपेक्षा अधिक वसा होती है लेकिन फिर भी इसे कम मात्रा में खाया जा सकता है।
आज इस लेख में हम आपको देशी घी बनाने का तरीका, देशी घी से होने वाले फायदों, नुकसान और घी खाने के सही तरीके के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। आइये जानते हैं :
देशी घी क्या है और कैसे बनता है :
मक्खन को आंच पर पकाने पर जब उसमे से छाछ के पूरे अंश समाप्त हो जाते है, तो बचा हुआ पदार्थ ही घी कहलाता है। जैसा कि मैंने पहले बताया कि देशी घी गाय और भैंस दोनों के दूध से बनाया जा सकता है। देशी घी बनाने के कई तरीके है, उनमे से दो तरीके है :
दूध को जमाकर
दूध को गर्म करके ठंडा करें और उसमे थोड़े से दही का जामन डाल कर जमा दें। जब उसका दही बन जाए तो उसे थोडा पानी डालकर मथनी या बिलोवने से मथे थोड़ी देर में दही की छाछ बन जायेगी। थोडा और मथने पर मक्खन छाछ के उपर आ जायेगा। अब मक्खन किसी दूसरे बर्तन में निकालकर आंच पर तब तक पकाए जब तक कि उसमे से छाछ के पूरे अंश समाप्त हो जाये। घी बनकर तैयार हो जाता है।
मलाई को जमाकर
दूध को गर्म करके ठंडा करने पर उस पर मलाई आ जाती है। इस मलाई को कुछ दिनों तक एक बर्तन में इकठ्ठा कर ले। फिर इस मलाई को आंच पर गर्म कर ले और ठंडा होने पर दही का जामन डाल दें। अगले दिन जमने पर इसमें थोडा-थोडा ठंडा पानी डालकर मथनी या बिलोवने से मथे थोड़ी देर मथने पर मक्खन और छाछ अलग हो जाएगी। अब मक्खन किसी दूसरे बर्तन में निकालकर आंच पर तब तक पकाए जब तक कि उसमे से छाछ के पूरे अंश समाप्त हो जाये। घी बनकर तैयार हो जाता है।
आजकल कई लोग मेहनत से बचने के लिए मलाई को सीधे ही आंच पर पकाकर घी निकाल लेते है, या मलाई को बिना जमाये ही मथ लेते है, लेकिन आर्युवेद की दृष्टि से यह घी स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद नहीं होता है। सबसे ज्यादा फायदेमंद और पौष्टिक घी दूध को जमाकर बनाया जाने वाला घी ही होता है।
देशी घी के प्रकार
आयुर्वेद के अनुसार देशी घी जितना पुराना होता उसके औषधीय गुण बढ़ते जाते है। हालाँकि इसकी गंध तीव्र हो जाती है फिर भी पुराना घी अपने औषधीय गुणों के कारण कई बिमारियों जैसे मिर्गी, मलेरिया, सिर, कान, आँख व योनी से जुड़े कई रोगों को दूर करने के काम आता है। आर्युवेद में देशी घी को उसकी संरक्षित अवधि के अनुसार अलग-लग नाम दिए गए है : –
पुराना घी : दस सालों तक सरंक्षित घी को “पुराना घी” कहा जाता है
कुम्भघृत : सौ सालों तक सरंक्षित घी को “कुम्भघृत” कहा जाता है
महाघृत : सौ सालों से अधिक समय तक सरंक्षित घी को “महाघृत” कहा जाता है
देशी घी के गुण
सभी प्रकार के तैलीय व चिकने पदार्थों में से देशी घी सबसे सेहतमंद माना जाता है। देशी घी भोजन का स्वाद (Test) तो बढ़ाता ही है साथ-ही-साथ हमारी सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है।
देशी घी एक चिकनाई युक्त बाहरी खाद्य पदार्थ है, आर्युवेद के अनुसार देशी घी की प्रवृति मधुर विपाक और शीतवीर्य वाली होती है। देशी घी में विटामिन k2, विटामिन ए और ई, ओमेगा 3 एवं ओमेगा 9, लिनोलिक एसिड (linoleic acid) और वसा (Fat) उचित मात्रा में होती है।
यह बुद्धि, बल, शुक्र और याददाश्त में वृद्धि करने में तो सहायक होता ही है, साथ ही चेहरे की चमक भी बढाता है।
रोजाना देशी घी खाने से होने वाले फायदे
- देशी घी में ओमेगा 3 एवं ओमेगा 9 जैसे फैटी एसिड की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। जो बढ़ते बच्चों के विकास के लिए आवश्यक होती हैं।
- देशी घी में लिनोलिक एसिड (linoleic acid) पाया जाता है, जो कि शरीर का वजन नहीं बढ़ने देता।
- देशी घी में विटामिन ए और ई बहुतायत में पाया जाता है। साथ ही इसमें विटामिन के2 भी होता है। यह विटामिन कैल्शियम को हड्डियों तक ले जाने का काम करता है और हड्डियों को मजबूत करता है।
- हर रोज एक चम्मच देशी घी खाने से दिल स्वस्थ (Heart Healthy) रहता है। यह दिल कि नलियों को अवरुद्ध (Blocked) होने से बचाता है।
- देशी घी में वसा (Fat) काफी मात्रा में होता है जो स्वस्थ तरीके से वजन बढ़ाने में सहायता करता है।
- देशी घी में विटामिन K2 पाया जाता है जो हड्डियों तक कैल्शियम पंहुचाने का काम करता है। इसे हर रोज अपने भोजन में लेने से हड्डियों को मजबूती मिलती है।
- देशी घी के नियमित सेवन से शारीर में बाइलरी लिपिड का फ्लो बढ़ जाता है। जो खून और आंतो में मौजूद ख़राब कोलेस्ट्रोल (Bad Cholesterol) कम करने में सहायक होता है।
- देशी घी में एंटी-ओक्सिडेंट पाया जाता है जो हमारी त्वचा (Skin) को स्वस्थ, मुलायम और चमकदार बनाने में सहायक होते है।
- देशी घी के नियमित सेवन से हमारा उपापचय (Metabolism) सही तरीके से काम करता है जो हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति (Immunity) बढाने में सहायक होता है, जिससे हमें संक्रमण (Body Infection) और बिमारियों का खतरा कम हो जाता है।
- प्रतिदिन सुबह एक चम्मच देशी घी खाली पेट खाने से शरीर निरोगी रहता है।
- देशी घी के नियमित सेवन से याददाश्त तथा तार्किक क्षमता में वृद्धि होती है। आयुर्वेद चिकित्सक इसका प्रयोग कई तरह के मानसिक रोगों के ईलाज में भी करते है।
- देशी घी के से प्रतिदिन सेवन से पाचन तंत्र सुचारू रूप से कार्य करता है, जिससे एसिडिटी और कब्ज की समस्या का भी निवारण होता है।
- पुराना घी स्वाद में बहुत ही खट्टा और तीखा होता है। इसको लगाने से घाव भर जाते है और त्वचा का संक्रमण दूर होता है।
बालों के लिए वरदान देशी घी
- पुराना घी गुनगुना करके बालों की जड़ों मे मालिश करने से बालों की जड़े मजबूत होती है और बाल झड़ना रूक जाता है।
- बालों में ड्राइनेस के कारण डैंड्रफ होने पर रात को सोते समय बालों की जड़ों मे देशी घी की मालिश करे और सुबह धो ले। डैंड्रफ की समस्या से छुटकारा मिलेगा और बालों में चमक आ जाएगी।
- देशी घी और बादाम के तेल को बराबर मात्रा में मिलाकर बालों की जड़ों मे आधा घंटे तक हल्के हाथों से मालिश करे और 1 घंटे बाद धो ले। डैंड्रफ की समस्या से छुटकारा मिलेगा और बालों में चमक आ जाएगी।
- बालों में पोषण की कमी से रूखे, बेजान और दोमुंहे बालों के लिए गाय के देशी घी को गुनगुना करके आधा घंटे तक हल्के हाथों से मालिश करे और 1 घंटे बाद धो ले। बालों को भरपूर पोषण मिलेगा और बाल नरम, मुलायम और चमकदार हो जाएंगे तथा दोमुंहे बालों की समस्या भी दूर हो जाएगी।
देशी घी के औषधीय उपयोग
- आग से जलने पर उस जगह पर तुरंत घी लगाने से यह जलन से राहत देता है और फफोले पड़ने से बचाता है।
- बुखार में घी के प्रयोग से राहत मिलती है।
- एक चम्मच गुनगुने देशी घी के सेवन से बार-बार हिचकी आने की समस्या से छुटकारा मिलता है।
- देशी घी में देसी शक्कर मिलाकर खाने से शरीर की दुबलेपन की समस्या दूर होकर शरीर हृष्ट-पृष्ट बनता है|
- एक गिलास दूध में एक चम्मच देशी घी मिलाकर सोने से पूर्व पीने से कब्ज की समस्या में आराम मिलता है ।
- यदि किसी ने जहर पी लिया हो या विषाक्त भोजन (Food Poisoning) हो गई हो, तो 12 ग्राम देशी घी को चार भागों में बाँट कर दिन में चार बार सेवन करने से जहर का प्रभाव कम हो जाता है।
- प्लेग कि बीमारी होने पर 15 ग्राम देशी घी को चार भागों में बाँट कर एक कप दूध के साथ दिन में चार बार पीने से प्लेग रोग ठीक हो जाता है।
- यदि किसी ने ज्यदा मादक पदार्थ ले लिया हो तो उसका नशा उतारने के लिए दो चम्मच देशी घी में दो चम्मच चीनी या शक्कर मिला कर पिलाने से आराम मिलता है।
- गले की खराश और खांसी की बीमारी में दस दाने कालीमिर्च, एक इंच अदरक का टुकड़ा और दस दाने मिश्री को दो चम्मच देशी घी में पकाकर सेवन करने से गले की खराश और खांसी कि समस्या से राहत मिलती है।
- थोडा गुड, एक चम्मच देशी घी में पकाकर सेवन करने से भी पुरानी खाँसी में आराम मिलता है। ट्यूबरक्लोसिस (टी.बी.) की बीमारी में मख्खन और मिश्री में देशी घी मिलकर खाने पर लाभ मिलता है। लेकिन चिकित्सक से भी ईलाज करवाते रहना चाहिए।
- बवासीर (Piles) की बीमारी में प्रतिदिन खाना खाने के बाद एक चम्मच देशी घी एक कप दूध में मिलकर पीने से आराम मिलता है।
- एक चम्मच काले तिल का पाउडर और एक चम्मच मिश्री को देशी घी में मिलाकर प्रतिदिन दिन में तीन बार सेवन करने से खूनी बवासीर (Piles) की बीमारी में आराम मिलता है।
गाय के घी के फायदे
गाय का देशी घी फायदेमंद होता है लेकिन गाय देसी नस्ल की होनी चाहिए। आयुर्वेद में तो देसी गाय के घी को अमृत समान माना जाता है, जिसमें सौ से भी ज्यादा गुण होते है। जो हमारे शरीर पर दवा की तरह काम करते है।
गाय के घी से कॉलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता है, जिससे वजन संतुलित रहता है। इसका सेवन त्वचा और बालों के लिए भी बहुत लाभकारी है। तो आइए जानते है देसी गाय के घी के फायदों के बारे में:-
- गाय के घी की दो से तीन बूंदें सुबह शाम नाक में डालने से फायदे
- माइग्रेन या आधासीसी का दर्द कम हो जाता है।
- एलर्जी खत्म हो जाती है।
- नकसीर की बीमारी में राहत मिलती है।
- नाक की खुश्की दूर होती है।
- सिर में पित्त चढ़ जाने पर गाय का घी सिर पर चुपड़ देने से आराम मिलता है।
- दिमाग तरोताजा हो जाता है और याददाश्त तेज होती है।
- पागलपन की बीमारी में भी आराम आता है।
- वात, पित्त और कफ जैसे दोषों से मुक्ति मिलती है।
- बालों का झड़ना रूक जाता है और नए बाल भी आने लगते है। और
- लकवा रोगी के लिए भी फायदेमंद होता है।
- गाय के घी की मालिश से लाभ
- गाय के घी से तलवों की मालिश करने से हाथ-पैरों में होने वाली जलन में आराम मिलता है।
- गाय के पुराने घी में नमक मिलाकर उसे गरम करके छाती पर मालिश करने से बच्चों की छाती में बलगम की समस्या से छुटकारा मिलता है।
- शरीर पर दाने होने पर गाय के देशी घी की मालिश से बहुत फायदा होता है
- गाय के घी में बहुत अधिक मात्रा में (Anti-oxidant) होता है। इससे रोज चेहरे की मालिश करने से चेहरे को नमी और पोषण मिलता है। जिससे चेहरे की की चमक बढ़ती है और त्वचा (Skin) नरम और मुलायम हो जाती है।
- गाय के घी से पैर के तलवों की मालिश करने से सिर दर्द में भी राहत मिलती है। 20-25 ग्राम मिश्री के साथ 20-25 ग्राम देशी घी मिलाकर खिलाने से शराब, भांग और गांजे का नशा कम हो जाता है।
- यदि किसी ने धतूरे या रसकपूर के विष का सेवन कर लिया हो तो उसे खूब सारा गाय का घी खिलाए। विष का असर काम हो जाएगा।
- सर्प दंश होने पर 20 से 40 तोले गाय का घी पिए और उसके पंद्रह मिनट बाद गुनगुना पानी जितना अधिक मात्र में पी सके उतना पिए। इससे उलटी और दस्त होने से विश का असर काम हो जाएगा। इस विसधी को दो तीन बार जहर का असर कतं होने तक करें।
- रोज रात को एक गिलास गाय के दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री डालकर पीने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है और शरीर को ताकत मिलती है।
- बुखार होने पर शरीर यदि बहुत जल रहा हो तो पूरे शरीर पर गाय के घी को एक सौ बार धोकर शरीर पर लेप करने से ताप में आराम मिलता है।
- फफोलों, घाव, फोड़ों, चर्मरोगों आदि पर गाय का धोया हुआ घी लगाने से आराम मिलता है।
- हिचकी आने पर आधा चम्मच गाय का देशी घी खाने से हिचकी रूक जाती है।
- गाय के घी का नियमित सेवन एसिडिटी और कब्ज की समस्या को दूर करने में सहायक होता है।
- माइग्रेन या आधासीसी का दर्द में प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व एक तोला गाय के घी में एक तोला मिश्री मिलाकर तीन दिन तक लगातार खाने से निश्चित ही आराम मिलता है।
- देशी गाय के घी में कैंसर-रोधी गुण पाए जाते है। अत: इसके सेवन से स्तन कैंसर और आंतों के कैंसर से बचा जा सकता है।
- दिल की बीमारी वाले रोगी भी यदि सीमित मात्रा में गाय के घी का सेवन करे तो यह उनके दिल को मजबूती प्रदान करता है।
- स्त्रियों मे होने वाले प्रदर रोग में आराम के लिए गाय का घी, छिलके सहित पिसा हुआ काले चने का आटा और पिसी देशी शक्कर तीनों को बराबर मात्र में ले। आटे/बेसन को घी में अच्छी तरह से सेक ले और ठंडा होने पर उसमें देशी शक्कर मिल कर लड्डू बना लें। रोज सुबह खाली पेट एक लड्डू खाते हुए एक गिलास गाय का मीठा दूध घूंट-घूंट करके पियें।
- शरीर से साँप या बिच्छू के जहर को बाहर निकालने के लिए भी 15 ग्राम गाय के घी को चार भागों में बाँट कर दिन में चार बार पिलाने से जहर का प्रभाव कम हो जाता है।
- गाय के घी के साथ कालीमिर्च और पिसी देशी शक्कर को मिलाकर रख लें। रोज सुबह खाली पेट इस मिश्रण का एक चम्मच चाट कर ऊपर से एक गिलास गाय के मीठे दूध को पीने से आँखों की रोशनी में बढ़ोतरी होती है.
- देसी गाय के घी को से वेट कंट्रोल में रहता है, शरीर को ताकत मिलती है और हडि्डयां मजबूत होती है।
धोया हुआ गाय का घी कैसे बनाए
एक पीतल के बर्तन में गाय का घी लें और उसमें ठंडा पानी डालकर हाथ से खूब फेंटे। फिर इस पानी को निकालकर फिर फेंटे। ऐसा सौ बार या जैसा भी बीमारी के लिए आवश्यक हो उतनी बार करे।
नाभि पर देशी घी लगाने के फायदे
हमारी नाभि में लगभग 72 हज़ार रक्त नलिकाएं होती है, जो शरीर के विभिन्न भागों की रक्त धमनियों से जुडी होती है। जब भी हम तेल या घी से नाभि की मालिश करते है, ये रक्त नलिकाएं रक्त धमनियों को तुरंत सक्रिय कर देती है। जिससे शरीर के सभी अंगों में खून का संचार सुचारू रूप से होने लगता है, और कई बिमारियों में लाभ मिलता है।
- रात को सोने से पहले नियमित रूप से रात को सोने से पहले देशी घी की पाँच से सात बूँद से नाभि की मालिश करने से सिर की त्वचा का रूखापन दूर होता है, जिससे बालों की जड़े मजबूत होती है तथा बालों में चमक आती है।
- रात को सोने से पूर्व नियमित रूप से नाभि में दो बूँद देशी घी डालकर गोलाई में मालिश करने से त्वचा (Skin) का रूखापन दूर होता है, चेहरे पर चमक आती है और रंग में भी निखार आता है।
- नाभि पर देशी घी की पाँच बूँद डालकर नाभि के चारों और डेढ़ इंच में फैलाकर गोलाई में हलके हाथों से मालिश करने से पाचन क्रिया में लाभ होता है। जिससे कब्ज की समस्या दूर होती है।
- नाभि में देशी घी की तीन से सात बुँदे डालकर नाभि के चारों और डेढ़ इंच में फैलाकर गोलाई में हल्के हाथों से घुटने एवं जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है।
- नियमित रूप से नाभि पर देशी घी की पाँच बुँदे डालकर नाभि के चारों और डेढ़ इंच में फैलाकर गोलाई में हल्के हाथों से मालिश करने से आँखों का सूखापन दूर होता है तथा आखों की रौशनी बढाती ।
- नियमित रूप से रात को सोने से पूर्व नाभि पर देशी घी की पाँच बुँदे डालकर नाभि के चारों और डेढ़ इंच में फैलाकर गोलाई में हल्के हाथों से मालिश करने से मुहांसे नहीं होते, चेहरे के दाग-धब्बे भी मिट जाते है तथा होंठ का फटना बंद ही जाता है और होंठ नर्म और मुलायम हो जाते है।
- नाभि में देशी घी की पांच से सात बूंदें डालकर नाभि के चारों और डेढ़ इंच में फैलाकर गोलाई में हलके हाथों से वृद्धावस्था में होने वाले शरीर में कम्पन्न होने की समस्या का समाधान होता है।
स्वास्थ्य लाभ हेतु देशी घी के प्रयोग के तरीके
- भोजन में घी का सेवन
- घी से नाभि व शरीर की मालिश
- नाक में घी डालकर
- गुदा में लगाकर (एनिमा के रूप में)
- घी का किसी औषधि में मिलाकर सेवन
देशी घी खाने में सावधानियां
- देशी घी को ज्यादा गर्म करके नहीं खाना चाहिए। इससे खाना आसानी से पच जाता है और शरीर में अतिरिक्त वसा नहीं जमती। जिस कारण वजन नहीं बढ़ता।
- कांसे के बर्तन में दस दिन या इससे ज्यादा समय से रखा हुआ घी नहीं खाना चाहिए, क्योंकि यह विषैला हो जाता है।
- अगर घी में से किसी तरह की दुर्गंध आ रही है तो उस घी का सेवन ना करें।
- अधिक मात्रा में घी का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे हाजमा बिगड़ सकता है।
- किसी बीमारी के घरेलु उपचार के लिए घी का प्रयोग आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह से करे तो बेहतर परिणाम मिलेगा।
- धोया हुआ घी जहर के समान हो जाता है उसे केवल मालिश के ही उपयोग में लाना चाहिए। इसका सेवन कभी नहीं करना चाहिए।
अगर आप घर बैठे गाय का देसी घी खरीदना चाहते है तो यहाँ से खरीदे
तो देखा ना दोस्तों देशी घी के कितने फायदे है। इसलिए आज से ही अपने भोजन में दो चम्मच देशी घी की भी शामिल करे और रोगों को दूर भगाए।
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