दो बिल्लियाँ और बंदर – Do Billiyan Aur Bandar
शिक्षाप्रद लघु कहानियाँ – दो बिल्लियाँ और बंदर – Do Billiyan Aur Bandar – Two Cats and Monkey
दोस्तों, आपने वो कहावत तो सुनी होगी कि दो बिल्लियों को लड़ाई मे बंदर का फायदा अर्थात दो जनों की लड़ाई ने तीसरा व्यक्ति फायदा उठा लेता है। आइए पंचतंत्र की कहानी दो बिल्लियाँ और बंदर से जानते है कि ये कहावत कैसे बनी?
झगड़ालू बिल्लियाँ
एक कस्बे मे दो बिल्लियाँ रहती थी। दोनों ही एक दूसरे को फूटी आँख नहीं सुहाती थी। हमेशा किसी भी बात पर आपस मे झगड़ने लगती। एक बार दोनों खाने की तलाश में बाहर निकली। उन्हें रास्ते में एक पेड़ के नीचे एक रोटी दिखी। रोटी को देखते हो दोनों रोटी की तरफ भागी।
दोनों एक साथ रोटी के पास पहुंची, और रोटी पर अपना पंजा रख दिया। अब दोनों में रोटी के लिए झगड़ा होने लगा। बोला, “रोटी को सबसे पहले मैंने देखा था इसलिए रोटी मुझे मिलनी चाहिए।” तो दूसरा बंदर बोला, “लेकिन रोटी के पास मैं पहले पहुंची, इसलिए रोटी मेरी है।”
बाँट कर खा लो
दोनों बड़ी देर से रोटी पर अपना अधिकार सिद्ध करते हुए एक दुसरे से लड़ रही थी। पेड़ पर बैठ बंदर बहुत देर से उनकी लड़ाई देख रहा था। उसने उनकी लड़ाई का फायदा उठाने का सोचा। वह नीचे आया और वह उनके पास जाकर बोल, “अरे मौसियों, आप दोनों आपस में क्यों लड़ रही हो?”
बिल्लियों ने बंदर को पूरी बात बताते हुए कहा, “अब तुम्हीं बताओ भांजे, यह रोटी किसकी है?” बंदर ने गंभीरता से अपना गाल पर हाथ रखा और सर हिलाते हुए थोड़ी देर सोचा और कहा, “अरे, इसमें क्या बड़ी बात है, तुम दोनों रोटी को आधा-आधा बाँट कर खा लो।”
बंदरों को बिल्ली की सलाह पसंद आई और उन्होंने रोटी के दो टुकड़े कर लिए। पर अब एक नई समस्या हो गई रोटी का एक टुकड़ा थोडा बड़ा और दूसरा थोडा छोटा था। अब दोनों में बड़ा टुकड़ा लेने के लिए लड़ाई होने लगी।
बंदर बना न्यायाधीश
तब बंदर ने कहा, “अरे-अरे, लड़ो मत, मैं अभी एक तराजू लेकर आता हूँ और रोटी के टुकड़ों को बराबर-बराबर कर देता हूँ। बंदर भाग कर एक पेड़ पर गए और एक लकड़ी और दो पत्तों से तराजू बनाकर तराजू के दोनों पलड़ों में एक-एक रोटी का टुकड़ा रखा।
तराजू का बड़े टुकड़े वाला पलड़ा भारी होकर थोडा झुक गया। बंदर ने उसमे से एक टुकड़ा तोड़ कर खा लिया। अब दूसरा वाला पलड़ा भारी हो जाता है। यह देखकर बंदर ने अपना सर खुजाते हुए कहा, “अरे अब ये टुकड़ा बड़ा हो गया।” और उसने उसमें से एक टुकड़ा तोड़कर खा लिया।
इस तरह वह दोनों पलड़ों में से एक-एक टुकड़ा तोड़कर खाता रहा। दोनों बिल्लियाँ उसे ऐसा करते हुए देखती रही। देखते ही देखते बंदर लगभग पूरी रोटी खा गया। बस अब दोनों पलड़ों मे छोटे-छोटे दो ही टुकड़े बचे थे। दोनों बिल्लियों ने बंदर को रोकते हुए कहा, “बस-बस, आप रहने दो अब हम दोनों आपस बाँटकर खा लेंगी।
मेहनताना तो देना पड़ेगा
बंदर ने कहा, “ठीक है जैसी तुम लोगों की मर्जी, लेकिन मैंने इतना काम किया है तो मुझे मेरा मेहनताना तो मिलना चाहिए।” इतना कहकर उसने जल्दी से दोनों पलड़ों में से रोटी के टुकड़ों को उठाकर अपने मुँह में डाल लिया और झट से पेड़ पर चढ़ गया।
दोनों बिल्लियाँ अपना हाथ मसलने के सिवाय कुछ नहीं कर सकती थी। उनके हाथ आई रोटी उनके सामने ही उनसे छिन चुकी थी। अब उन्हें समझ में आ गया था कि आपसी फूट अच्छी नहीं होती है, आपसी फूट का फायदा दूसरे उठा ले जाते है।
सीख
दो लोगों की लड़ाई में हमेशा तीसरा फायदा उठा लेता है। आपसी फूट अच्छी नहीं होती है, आपसी फूट का फायदा दूसरे उठा ले जाते है।
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तो दोस्तों, “कैसी लगी ये रीत, कहानी के साथ-साथ मिली सीख”? आशा करती हूँ आप लोगों ने खूब enjoy किया होगा।
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