श्री गणेश जी की आरती – Shri Ganesh Aarti – श्री गणेश आरती
जय श्री गणेश, किसी के भी घर में जब भी कोई पूजा होती है उसमें सबसे पहले श्री गणेश की पूजा जरूर की जाती है, तथा आरती में भी सबसे पहले श्री गणेश जी की आरती ही गाई जाती है। अलग-लग प्रदेशों के हिसाब से आरती के पदों में थोड़ा बहुत अंतर आ जाता है।
मैं यहाँ आपको गणेश जी की आरती तीन तरह से बता रही हूँ, आप अपने रिवाज के हिसाब से कोई सी भी आरती गया सकते है।
श्री गणेश आरती – ॥ 1 ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़ियन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धनन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
हार चढ़े पुष्प चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
- माँ लक्ष्मी जी की आरती – ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
- श्री गणेश जी की – जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
- श्री गणेश जी का भजन – महाराज गजानंद आवो नी
- श्री गणेश जी का भजन – गाइये गणपति जगवंदन
- श्री शंकराची आरती – जय देव जय देव जय श्रीशंकरा
- माँ दुर्गा की आरती – जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
- हनुमान जी की आरती – आरती कीजै हनुमान लला की
- विष्णु जी की आरती – ॐ जय जगदीश हरे
श्री गणेश आरती – 2 ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़ियन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धनन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
श्री गणेश आरती – ॥ 3 ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
नैया पार कर दो प्रभु, बन कर के खेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़ियन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धनन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥