गणेश जी और बुढ़िया की समझदारी – Ganesh Ji Aur Budhiya Ki Samajhdaari
गणेश जी की कथाएँ – गणेश जी और बुढ़िया की समझदारी – Ganesh Ji Aur Budhiya Ki Samajhdaari – Ganesha and Cleverness of the Old Lady
गणेश जी का बुढ़िया माई को दर्शन
एक बुढ़िया थी। वह बहुत ही गरीब और दृष्टिहीन थीं। उसके एक बेटा और एक बहू थे। लेकिन शादी के कई साल गुजर जाने के बाद भी उनके कोई बच्चा नहीं था | बुढ़िया गणेश जी बहुत बड़ी भक्त थी और रोज सुबह गणेश जी की पूजा किया करती थी। गणेश जी की पूजा के बाद ही कुछ खाती थी |
उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर एक दिन गणेश जी ने उस बुढ़िया को दर्शन दिए और कहा, “बुढ़िया माई! मैं तुम्हारी भक्ति से बहुत प्रसन्न हूँ, तुम जो चाहे सो मांग लो।” बुढ़िया ने कुछ देर सोचा और बोली, “भगवन, मुझे तो मांगना नहीं आता। मैं कैसे और क्या मांगू?” तब गणेशजी ने कहा, “बुढ़िया माई, तुम अपने बहू-बेटे से पूछकर मांग लो|”
बुढ़िया अपने बेटे-बहु के पास गई और उन्हें सारी बात बताई | तब उसके बेटे ने कहा, “माँ, हम बहुत गरीब है, इसलिए तुम तो गणेश जी से बहुत सारा धन मांग लो | जिससे हमारी आगे की जिंदगी आराम से कट जाएगी |” फिर उसने बहु से पुछा तो बहु ने कहा, “सासू माँ, मेरे कोई बच्चा नहीं है, आप गणेश जी से पोता-पोती मांग लो |”
तब बुढ़िया ने सोचा कि ये दोनों तो अपने-अपने मतलब की चीज मांगने के लिए कह रहे है, मैं अपनी पड़ोसिनों से पूछती हूँ | तब उस बुढ़िया ने अपनी पड़ोसिनों से पूछा, तो उन्होंने कहा, “बुढ़िया माँ! अब तेरी कितनी सी जिंदगी तो बाकी रही है, तू तो अब थोड़े दिन ही जीएगी, इसलिए तू धन और नाती-पोतों का क्या करेगी | तू तो गणेश जी से अपनी आंखों की रोशनी मांग ले, जिससे तेरी बाकि की जिंदगी आराम से कट जाएगी |”
बुढ़िया माई का वरदान
सबसे सलाह लेने के बाद बुढ़िया गणेश जी के पास वापस आई और बोली, “हे गणेश जी महाराज, यदि आप मुझसे वास्तव में प्रसन्न हैं, तो मुझे नौ करोड़ की माया दें, निरोगी काया दें, अमर सुहाग दें, आंखों की रोशनी दें, नाती दें, पोता, दें और सब परिवार को सुख दें और अंत में मोक्ष दें|”
बुढ़िया का वरदान सुनकर गणेशजी बोले, “बुढ़िया मां! तू तो बड़ी होशियार निकली, तुमने तो हमें ठग लिया। फिर भी मैंने तुमको वरदान देने का वचन दिया है, इसलिए तुमने जो भी मुझसे माँगा है वह सब तुम्हें देता हूँ |” इतना कहकर गणेशजी अंतर्धान हो गए। उनके जाते ही बुढ़िया मां की आँखों की रोशनी आ गई, और नौ करोड़ की माया घर में आ गई | नवें महीने में उसकी बहु ने चाँद से पोते को जन्म दिया | बुढ़िया माई ने जो कुछ गणेश जी से मांगा, उसे वह सब मिल गया।
हे गणेशजी महाराज! जैसे तुमने उस बुढ़िया मां पर अपनी कृपादृष्टि की वैसी ही सब पर करना | जैसा वरदान बुढ़िया माई को दिया, वैसा ही सबको देना। टूटती को जोड़ना और घटती को पूरी करना |
बोलो गणेश जी महाराज की जय !!!
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