गणपती गजवदन विनायक
गणपती जी का भजन
(तर्ज – फूल तुम्हें भेजा है खत में)
गणपती गजवदन विनायक, थाणे प्रथम मनावाँ जी,
आनाकानी मतना करियों, थारी किरपा चावाँ जी ।।टेर।।
माथे मुकुट निरालो थारे, गल मोतियन की माला है,
पार्वती का लाल कहावों, गणपति दूँड दुंदाला है,
रिद्धि सिद्धि थारे संग में सोहे, मूसे की असवारी जी ।। 1 ।।
गणपती गजवदन विनायक………………..
रणत भँवरगढ़ आप बिराजो, दुखियों का दुख दूर करो,
जो भी थाने मन में ध्यावे, उसकी इच्छा पूर्ण करो,
म्हारी लाज भी राखो गणपति, थानें मन सूँ ध्यावा जी ।। 2 ।।
गणपती गजवदन विनायक………………..
शुभ और लाभ के देने वाले, सबकी नैया खेते हो,<
मित्र मंडल थारी शरण में आयो, क्यों ना दर्शन देते हो,
थानें राजी राखण ताईं, मोदक भोग लगाओ जी ।। 3 ।।
गणपती गजवदन विनायक………………..