Hanuman Chalisa Lyrics – हनुमान चालीसा
भारत वर्ष ही नहीं भारत के बाहर विदेशों तक भी हनुमान जी की महिमा का गुणगान होता है। लाखों करोड़ों भक्त हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं।
हनुमान चालीसा के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी हैं। हनुमान चालीसा पूरी तरह से प्रभु हनुमान को समर्पित एक भक्ति स्तोत्र है, जिसमें हनुमान जी के रूप, शोर्य तथा उनके द्वारा किए गए कार्यों का बड़े ही सुन्दर तरीके से वर्णन किया गया है।
हनुमान जी ने आपण बुद्धि, वीरता और पराक्रम से बड़े-बड़े कार्य किये है। उन्होंने राम, लक्ष्मण, विभीषण, सुग्रीव आदि कई लोगों के संकट दूर किये हैं, इसलिए इन्हें संकतमोचन के नाम से भी जाना जाता है।
हनुमान जी की आराधना करने से सभी तरह के संकट दूर होते हैं। तो चलिए पढ़ते हैं, हनुमान चालीसा: –
Hanuman Chalisa Lyrics – हनुमान चालीसा
॥ दोहा ॥
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल, जसु जो दायकु फल चारि ॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार ॥
॥ चौपाई ॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर ॥ १ ॥
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥ २ ॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी ॥ ३॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा ॥ ४ ॥
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै ॥ ५ ॥
संकर स्वयं केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन ॥ ६ ॥
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर ॥ ७ ॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया ॥ ८ ॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥ ९ ॥
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे ॥ १० ॥
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥ ११ ॥
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥ १२ ॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ॥ १३ ॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा ॥ १४ ॥
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते ॥ १५ ॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥ १६ ॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना ॥ १७ ॥
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥ १८ ॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं ॥ १९ ॥
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥ २० ॥
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥ २१ ॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना ॥ २२ ॥
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै ॥ २३ ॥
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै ॥ २४ ॥
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥ २५ ॥
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥ २६ ॥
सब पर राम तपस्वी (राय सिर) राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा ॥ २७ ॥
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै ॥ २८ ॥
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा ॥ २९ ॥
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे ॥ ३० ॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता ॥ ३१ ॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सादर हो रघुपति के दासा ॥ ३२ ॥
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै ॥ ३३ ॥
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई ॥ ३४ ॥
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥ ३५ ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥ ३६ ॥
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥ ३७ ॥
यह सत बार पाठ कर जोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई ॥ ३८ ॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥ ३९ ॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा ॥ ४० ॥
॥ दोहा ॥
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥
बोलो सियावर रामचन्द्र की जय! पवनसुत हनुमान की जय!
हनुमान चालीसा के साथ यदि आप श्रीराम स्तुति भी गाना चाहें तो गा सकते हैं।
तुलसीदास जी द्वारा हनुमान चालीसा की रचना की कहानी
Hanuman Chalisa Lyrics In English
॥ Doha ॥
Shri Guru Charan Saroj Raj, Nij manu Mukuru Sudhaari।
Barnau Raghubar Bimal Jasu, Jo Daayeku Phal Chaari॥
Buddhiheen Tanu Jaanike, Sumirau Pavan-Kumaar।
Bal Buddhi Bidya Dehu Mohi,Harahu Kales Bikaar॥
॥ Chaupai ॥
Jai Hanuman Gyaan Gun Sagar।
Jai Kapis Teehun Lok Ujagar ॥ 1 ॥
Ram Doot Atulit Bal Dhama।
Anjani-Putra Pavansut Nama॥ 2 ॥
Mahabir Bikram Bajrangi।
Kumati Nivaar Sumati Ke Sangi ॥ 3 ॥
Kanchan Baran Biraaj Subaisa।
Kaanan Kundal Kunchit Kaisa॥ 4 ॥
Haath Bajra Aaur Dhwaja Biraaje।
Kaandhe Moonj Janeu Saaje ॥ 5 ॥
Sankar Swyam Kesarinandan।
Tej Prataap Maha Jag Bandan॥ 6 ॥
Bidyabaan Guni Ati Chaatur।
Ram Kaaj Karibe Ko Aatur ॥ 7 ॥
Prabhu Charitra Sunibe Ko Rasiya।
Ram Lakhan Sita Man Basiya॥ 8 ॥
Sukshma Roop Dhari Siyahin Dikhawa।
Bikat Roop Dhari Lanka Jarawa ॥ 9 ॥
Bheem Roop Dhari Asur Sanhaare।
Ramchandra Ke Kaaj Sanwaare॥ 10 ॥
Laaye Sajivan Lakhan Jiyaaye।
Shri Raghubeer Harashi Ur Laaye ॥ 11 ॥
Raghupati Keenhi Bahut Badai।
Tum Mum Priy Bharat Hi Sam Bhai॥ 12 ॥
Sahas Badan Tumhro Jas Gaavain।
As Kahi Shripati Kanth Lagavain ॥ 13 ॥
Sankadik Bramhadi Munisa।
Narad Sarad Sahit Ahisa॥ 14 ॥
Jam Kuber Digpaal Jahan Te।
Kabi Kobid Kahi Sake Kahaan Te ॥ 15 ॥
Tum Upkaar Sugreevhin Kinha।
Ram Milaaye Raajpad Dinha॥ 16 ॥
Tumhro Mantra Vibhishan Maana।
Lankeswar Bhaye Sab Jag Jana ॥ 17 ॥
Jug Sahastra Jojan Par Bhaanu।
Lilyo Taahi Madhur Phal Jaanu॥ 18 ॥
Prabhu Mudrika Meli Mukh Maahi।
Jaldhi Laanghi Gaye Achraj Naahi ॥ 19 ॥
Durgam Kaaj Jagat Ke Jete।
Sugam Anugraha Tumhre Tete ॥ 20 ॥
Ram Dware Tum Rakhwaare।
Hoat Na Aagya Binu Paisare ॥ 21॥
Sab Sukh Lahai Tumhari Sharna।
Tum Rakhshak Kaahu Ko Darna ॥ 22 ॥
Aapan Tej Samharo Aapai।
Teenahun Lok Haank Te Kaanpai ॥ 23 ॥
Bhoot Pishaach Nikat Nahi Aavai।
Mahabeer Jab Naam Sunavai ॥ 24 ॥
Nasai Rog Harai Sab Peera।
Japat Nirantar Hanumat Beera ॥ 25 ॥
Sankat Te Hanuman Chhoodavai।
Man Krama Bachan Dhyaan Jo Laavai ॥ 26 ॥
Sab Par Raam Tapasvi Raja।
Tin Ke Kaaj Sakal Tum Saaja ॥ 27 ॥
Aur Manorath Jo Koi Laavai।
Soi Amit Jivan Phal Paavai ॥ 28 ॥
Chaaro Jug Partaap Tumhara।
Hai Parsiddh Jagat Ujiyara ॥ 29 ॥
Saadhu Sant Ke Tum Rakhwaare।
Asur Nikandan Ram Dulaare ॥ 30 ॥
Asht Siddhi Nav Nidhi Ke Daata।
As bar Deen Janki Maata ॥ 31 ॥
Ram Rasayan Tumhre Paasa।
Sada Raho Raghupati Ke Daasa॥ 32 ॥
Tumhre Bhajan Ram Ko Paavai।
Janam Janam Ke Dukh Bisraavai॥ 33 ॥
Antakaal Raghubar Pur Jaayee।
Jahan Janam Hari Bhakt Kahayee॥ 34 ॥
Aur Devta Chitta Na Dharai।
Hanumat Sei Sarb Sukh Karai॥ 35 ॥
Sankat Kate Mite Sab Peera।
Jo Sumirai Hanumat Balbira॥ 36 ॥
Jai Jai Jai Hanuman Gosaai।
Kripa Karahun Gurudev Ki Naai॥ 37 ॥
Yah Sat Baar Paath Kar Joi।
Chhootahin Bandi Maha sukh Hoyi॥ 38 ॥
Jo Yeh Padhe Hanuman Chalisa।
Hoye Siddhi Saakhi Gaurisa॥ 39 ॥
Tulsidas Sada Harichera।
Kije Naath Hridaya Mahn Dera॥ 40 ॥
॥ Doha ॥
Pavantanaye Sankat Haran, Mangal Moorti Roop।
Ram Lakhan Sita Sahit, Hridaya Basahu Soor Bhoop॥
हनुमान चालीसा हिन्दी अर्थ सहित
॥ दोहा ॥
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥
मैं श्री गुरुदेव के चरण–कमलों की धूलि से अपने विकारों से भरे हुए मनरूपी दर्पण को निर्मल/पवित्र करके, श्री रघुवर के उस सुन्दर यश का वर्णन करता हूँ, जो चारों फलों अर्थात धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष आदि को प्रदान करने वाला है।
बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार ॥
हे पवनकुमार! मैं अपने आपको शरीर से कमजोर और बुद्धिरहित अर्थात मूर्ख जानकर आपका ध्यान (स्मरण) कर रहा हूँ। आप मुझे बल, बुद्धि और विद्या प्रदान करके मेरे सारे कष्टों और दोषों को दूर करने की कृपा कीजिये।
॥ चौपाई ॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर ॥ १ ॥
ज्ञान और गुणों के सागर श्री हनुमान जी आपकी जय हो। अपनी कीर्ति से तीनों लोकों (स्वर्गलोक, भूलोक तथा पाताललोक) को प्रकाशित करने वाले कपीश्वर श्री हनुमान जी आपकी जय हो।
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥ २ ॥
हे हनुमान जी आप श्री राम के दूत हो तथा अतुलित जिसकी कोई तुलना ना की जा सके ऐसे बल के स्वामी हो। आप माता अंजनी के पुत्र अंजनीपुत्र और पवन के पुत्र पवनसुत के नाम से विख्यात हो ।
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी ॥ ३॥
हे महावीर! वज्र के समान मजबूत व कठोर अंगवाले और अनन्त पराक्रमी हैं। आप कुमति अर्थात दुर्बुद्धि को दूर करके सद्बुद्धि प्रदान करते है तथा सद्बुद्धि धारण करने वालों के संगी (साथी व सहायक) हैं।
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा ॥ ४ ॥
आपके कंचन जैसे शरीर पर सुंदर वस्त्र विद्यमान हैं, कानों में कुंडल और सिर पर घुँघराले केश (बाल) आपकी शोभा बढ़ा रहे है।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै ॥ ५ ॥
आपके हाथों में वज्र के समान कठोर गदा और धर्म का प्रतीक ध्वजा विराजमान है और कंधे पर मूँज का जनेऊ सुशोभित हो रहा है।
संकर स्वयं केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन ॥ ६ ॥
आप भगवान शंकर के अवतार (अंश) और वानरराज केसरी के पुत्र है। आप अपार तेजस्वी और प्रतापी है, और सारा जगत आपकी वंदना करता है।
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर ॥ ७ ॥
आप विद्यावान अर्थात सारी विद्याओं से सम्पन्न, गुणवान् और अत्यन्त चतुर हैं तथा सदैव भगवान् श्री राम का कार्य (संसार के कल्याण का कार्य) पूर्ण करने के लिये तत्पर (तैयार) रहते हैं।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया ॥ ८ ॥
आप प्रभु श्री राघवेन्द्र का चरित्र सुनने अर्थात उनकी पवित्र मंगलमयी कथा का रसपान करने के लिये सदैव लालायित रहते हैं। भगवान श्री राम, लक्ष्मण और माता सीता जी सदा आपके हृदय में विराजमान रहते हैं।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥ ९ ॥
आपने सूक्ष्म रूप धारण करके माता सीता को खोजा और विराट रूप धारण करके रावण की लंका को जला दिया।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे ॥ १० ॥
अत्यन्त विशाल और भयानक रूप धारण करके आपने राक्षसों का संहार किया और भगवान् श्री रामचन्द्रजीं के सभी कार्यों को पूरा किया।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥ ११ ॥
आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को नया जीवन प्रदान किया जिससे प्रसन्न होकर श्री राम ने आपको अपने हृदय से लगा लिया।
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥ १२ ॥
भगवान् श्री राम ने आपकी बहुत प्रशंसा की और आपसे कहा कि तुम मुझे मेरे भाई भरत के समान ही प्रिय हो ।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ॥ १३ ॥
हजार मुख वाले श्री शेष जी सदा तुम्हारे यश का गान करते रहेंगे ऐसा कहकर माता लक्ष्मी के पति भगवान विष्णु के अवतार भगवान् श्री राम ने आपको अपने हृदयसे लगा लिया।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा ॥ १४ ॥
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते ॥ १५ ॥
सनकादिक अर्थात ब्रह्मा जी के चारों पुत्रों सनक, सनन्दन, सनातन व सनत्कुमार, स्वयं ब्रह्मा, नारद, सरस्वती सहित सारे देवगन, यमराज, कुबेर सहित समस्त दिगपाल अर्थात दसों दिशाओं का पालन करने वाले देवता भी जब आपका यश कहने में असमर्थ हैं तो फिर सांसारिक मोह माया में फंसा हुआ कवि उसे कैसे कह सकते हैं? अर्थात् आपका यश अवर्णनीय है।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥ १६ ॥
आपने वानर राज सुग्रीव पर बड़ा उपकार किया कि आपने उन्हें भगवान् श्री राम से मिलाया जिन्होंने बाली को मारकर उनका राज्य उन्हें वापस दिला कर पुन: राजा के पद पर आसीन किया।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना ॥ १७ ॥
ये बात तो सारा संसार जानता है कि आपके उपदेश व परामर्श को मानकर विभीषण लंका के राजा बन गये।
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥ १८ ॥
हे हनुमान जी! आपका तेज और पराक्रम तो इतना है के आपने बालपन में ही पृथ्वी से दो हजार योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को एक मीठा फल समझकर निगल लिया था।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं ॥ १९ ॥
यह जानते हुए इसमें कोई आश्चर्य की कोई बात नहीं है कि आप प्रभु श्री रामचन्द्र जी की अँगूठी को मुख में रखकर सौ योजन जीतने बड़े महासमुद्र को लाँघ गये थे।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥ २० ॥
हे प्रभु हनुमान जी! संसार के जितने भी कठिन से कठिनतम कार्य हैं, वे सब आपकी कृपामात्र से सरलता व सहजता से हो जाते हैं।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥ २१ ॥
भगवान् श्री रामचन्द्र जी के दरबार के द्वारपाल आप ही हैं। आपकी आज्ञा के बिना उनके दरबार में कोई भी प्रवेश नहीं कर सकता। (अर्थात् भगवान् श्री राम की कृपादृष्टि प्राप्त करने के लिये आपकी कृपा बहुत आवश्यक है) ।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना ॥ २२ ॥
आपकी शरण में आने व सभी भक्तों को संसार के समस्त सुख प्राप्त हो जाते हैं। आप स्वयं जिसकी रक्षा करते हैं उसका संसार में कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता अर्थात जिसके आप रक्षक हो उसे किसी भी व्यक्ति या वस्तु का भय नहीं रहता।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै ॥ २३ ॥
अपने तेज अर्थात अपनी शक्ति, पराक्रम, प्रभाव, पौरुष और बल के वेग को संभालना संसार में किसी के भी वश में नहीं है इसे केवल आप स्वयं सँभाल सकते हैं। आपकी एक हुंकारमात्र से संसार के तीनों लोक काँप जाते हैं। (बालि की कहानी)
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै ॥ २४ ॥
आपके नाम का जाप करने से भूत–पिशाच आदि निकट नहीं आ सकते। अर्थात आपका नाम सुनाने पर भूत-पिशाच पास नहीं आ पाते।
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥ २५ ॥
जो भी भक्त श्री वीर हनुमान जी का निरन्तर जाप व ध्यान करता है, वे उसके सभी रोगों का नाश करके उसकी सभी पीड़ाओं व दुखों का हरण कर लेते हैं।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥ २६ ॥
हे हनुमान जी ! जो कोई भी मन, कर्म और वाणी के द्वारा आपका सच्चे हृदय से ध्यान करता है तो आप उसे समस्त संकटों व कष्टों से छुटकारा दिला देते हैं।
सब पर राम तपस्वी राजा।।
तिन के काज सकल तुम साजा ॥ २७ ॥
तपस्वी राम जो सारे संसार के राजा हैं जो स्वयं सर्वसमर्थ हैं ऐसे प्रभु श्री राम के भी समस्त कार्यों को आपने ही पूरा किया। (कई जगह सब पर राम तपस्वी राजा।की जगह सब पर राम राय सिर राजा। का उच्चारण भी किया जाता है। कौन-सा सही है और कौनसा गलत मैं इसके फेर में नहीं पड़ना चाहती। आपको जो भी सही लगे आप उस पद का उच्चारण कर सकते हैं)
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै ॥ २८ ॥
जो कोई भी पूरी श्रद्धा से आपके पास अपनी अभिलाषा लेकर आता है, उसे आप इतना प्रदान करते है जिसकी कोई सीमा नहीं होती।
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा ॥ २९ ॥
हे हनुमान जी! यह सत्य है कि सत्ययुग, त्रेतायुग, द्वापर युग, और कलियुग चारों युगों में आपका यश और प्रताप जगत को सदैव प्रकाशित करता चला आया है।
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे ॥ ३० ॥
हे हनुमान जी! आप संतों व सज्जनों की रक्षा करते हो और दुष्टों का नाश करते हो इस कारण आप श्री राम के दुलारे हो।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता ॥ ३१ ॥
माता जानकी ने आपको आठों प्रकार की सिद्धियाँ (अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व) और नवों प्रकार की निधियाँ (पद्म, महापद्म, शंख, मकर, कच्छप, मुकुन्द, कुन्द, नील, खर्व) प्रदान करने के साथ आपको यह वरदान भी दिया है कि आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा ॥ ३२ ॥
आपके पास बुढ़ापा और असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम की अमोघ औषधि है। आप इतने बलशाली होते हुए भी विनम्रता और आदर के साथ निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण में रहते हैं। (कई जगह “सदा रहो रघुपति के दासा” की जगह “सादर हो रघुपति के दासा” का उच्चारण भी किया जाता है। आपको जो भी सही लगे आप उस पद का उच्चारण कर सकते हैं।)
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै ॥ ३३ ॥
आपके भजन करने मात्र से श्री राम की कृपा प्राप्त हो जाती है जिससे जन्म जन्मान्तर के दुःखों से मुक्ति मिल जाती है।
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई ॥ ३४ ॥
वे अपने अन्त समय में अर्थात मृत्यु होने पर प्रभु के परमधाम में चले जाते है और यदि भूलोक में फिर से जन्म लेना भी पड़ा तो उनकी प्रसिद्धि हरिभक्त के रूप में होगी।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥ ३५ ॥
आपकी महिमा इतनी है कि किसी अन्य देवता को हृदय में धारण न करते हुए केवल आपका ध्यान और सेवा करने से ही जीवन के सभी सुख प्राप्त हो जाते है।
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥ ३६ ॥
जो प्राणी सच्चे हृदय से श्री वीर हनुमान जी का स्मरण करता है, उसके सभी संकट दूर हो जाते हैं और उसके सभी कष्ट और पीड़ाएँ समाप्त हो जाती हैं।
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥ ३७ ॥
हे स्वामी हनुमान जी! आपकी जय हो! जय हो! जय हो! आप मेरा एक गुरु जी के समान मार्गदर्शन करते हुए मुझ पर अपनी कृपा कीजिए।
यह सत बार पाठ कर जोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई ॥ ३८ ॥
जो कोई इस हनुमान चालीसा का नित्य सौ बार पाठ करता है, उसे इस जगत के सारे बन्धनों और कष्टों से छुटकारा मिल जाता है, उसे महान् सुख अर्थात परमानन्द की प्राप्ति होती है।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥ ३९ ॥
भगवान शंकर इस बात कर साक्षी है कि जो कोई भी इस हनुमान चालीसा का पाठ करेगा उसे सभी सिद्धियाँ प्राप्त हो जाएंगी।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा ॥ ४० ॥
हे नाथ श्री हनुमान जी ! ये तुलसीदास तो सदा से श्री हरि अर्थात भगवान् श्री राम का एक सेवक है, इसलिए आप उसके हृदय में निवास कीजिये।
॥ दोहा ॥
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥
हे पवनसुत, सारे संकटों को दूर करने वाले तथा साक्षात् कल्याण की मूर्ति, आप भगवान् श्री राम, लक्ष्मण, और माता सीता जी के साथ मेरे हृदय में निवास कीजिये।
हनुमान चालीसा पाठ का वीडियो
जो भक्त हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहते है और जिन्हें इसकी लय पता नहीं है उनके लिए मैंने यहाँ पर एक वीडियो का लिंक दिया है जिसे सुनकर आप भी लय के साथ हनुमान चालीसा का पाठ कर पाएंगे।
किसी भी पाठ को यदि लय के साथ गाया जाए तो वो पढ़ने, सुनने में भी अच्छा लगता है और जल्दी से याद भी हो जाता है।
यदि आप भी प्रभु हनुमान जी की कृपया के पात्र बनना चाहते हैं तो रोज कम से काम एक बार सुबह या शाम के समय हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य कीजिए।
हनुमान चालीसा का पाठ क्यों करना चाहिए?
ऐसी किवंदिती है कि एक बार अकबर ने गोस्वामी तुलसीदास को जेल में डाल दिया था तब जेल में तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा की रचना की और जेल में ही 40 दिनों तक इसका पाठ किया। तब हनुमान जी ने उनका संकट दूर किया और उन्हें जेल से छुड़ाया था।
के भक्त हैं, तो आपको उनका आशीर्वाद लेने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। कहा जाता है कि हनुमान चालीसा के इन 40 श्लोकों का रोजाना जाप करने से कुछ आश्चर्यजनक लाभ मिलते हैं।
बजरंगबली को अमर माना गया है और ऐसी मान्यता हैं कि उनकी आराधना करने से वे स्वयं आकर भक्तों के संकटों को दूर करते हैं।
हनुमान चालीसा के पाठ के लाभ
नियम से प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से भक्तों के संकट दूर होने के साथ अन्य लाभ भी होते हैं।
- जिस घर में रोह हनुमान चालीसा का पाठ होता है, उस घर की नकारात्मकता दूर होती है तथा घर में सुख तथा शांति रहती है।
- यदि किसी के गण कच्चे हों, उसे बुरे सपने आते हों, प्रेतात्माओं से भय लगता हो, तो हनुमान चालीसा का पाठ करने से ये सभी बाधाएं दूर होती हैं।
- प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से बुरी शक्तियों से छुटकारा मिलता हैं।
- हनुमान चालीसा का पाठ करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है, शनि की दृष्टि के कारण होने वाली समस्याएं दूर होती हैं।
- हनुमान चालीसा का पाठ करने से कार्य सिद्धि में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
हनुमान चालीसा पढ़ने का सबसे अच्छा समय
हनुमान चालीसा का पाठ सुबह या शाम के समय किया जा सकता है।
यदि प्रात:काल में हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहते हैं तो स्नान करके करें।
अगर आप हनुमान चालीसा का पाठ शाम को पकरना चाहते हैं तो अपने हाथों व पैरों को अच्छी तरह से धोकर करें।
पाठ हमेशा आसन पर बैठ कर करें तथा हनुमान जी के सामने दीपक जरूर जलाएं।
हनुमान चालीसा के बारे में कुछ रोचक तथ्य
हनुमान चालीसा की कुछ रोचक जानकारियाँ मैं यहाँ आपके लिए लेकर आइ हूँ: –
हनुमान चालीसा की रचना के पीछे भी एक कहानी हैं: –
- हनुमान चालीसा की भाषा अवधि हैं। भारतीय भाषाओं में ही नहीं कई विदेशी भाषाओं में भी इसका अनुवाद हो चुका है। मतलब के अपने हनुमान जी तो word famous हैं भाई।
- हनुमान चालीसा को दुनियाँ में सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली धार्मिक पुस्तक माना जाता है। गीता प्रेस में भी सबसे ज्यादा प्रतियाँ हनुमान चालीसा की ही छपती हैं।
- माना जाता है कि हनुमान चालीसा को सबसे पहले स्वयं हनुमान जी ने सुना था। कहा जाता है कि जब गोस्वामी तुलसीदास जी रामचरितमानस का पाठ करते थे तब स्वयं हनुमान जी इसे सुनने के लिए एक बूढ़े कोढ़ी के रूप में वहाँ आते थे। हनुमान चालीसा की रचना के बाद रामचरितमानस के पाठ के बाद जब तुलसीदास जी हनुमान चालीसा का पाठ शुरू करते इससे पहले ही सारे भक्त वहाँ से चले गए। केवल वृद्ध कोढ़ी के रूप में हनुमानजी ही वहाँ बैठे रहे और उन्होंने इसे पूरा सुना।
- हनुमान चालीसा की शुरुआत जिस दोहे से होती है उसका पहला शब्द है, “श्रीगुरु” माना जाता है कि इसमें “श्री” का मतलब माता सीता से है, जिन्हें हनुमान जी अपना गुरु मानते हैं।
- हनुमान चालीसा में चालीस छंदों/चौपाइयों में हनुमान जी की महिमा का गुणगान है।
- हनुमान चालीसा की पहली 10 चौपाइयों में उनकी शक्ति और ज्ञान का,
- 11 से 20 तक की चौपाइयों में उनके द्वारा भगवान श्री राम, लक्ष्मण, सुग्रीव और विभीषण के लिए किए किए गए कार्यों और उनके शोर्य तथा
- अन्य चौपाइयों में उनकी शक्तियों व उनकी कृपा प्राप्त करने के बारे में वर्णन है।
- ऐसी किवंदिती है कि एक बार अकबर ने गोस्वामी तुलसीदास को जेल में डाल दिया था तब जेल में तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा की रचना की और जेल में ही 40 दिनों तक इसका पाठ किया। तब हनुमान जी ने उनका संकट दूर किया और उन्हें जेल से छुड़ाया।
- हनुमान जी उन 10 लोगों में से एक हैं जिन्हें अमरत्व प्राप्त है। इन्हें जीवित देवता माना जाता है और भक्तों की यह धारणा है कि जहाँ पर भी श्रीराम और हनुमान जी का कीर्तन होता है वहाँ हनुमान जी स्वयं पधारते हैं। (हरिकथा में हनुमान जी की उपस्थिति की सत्य कहानी)
अंतिम शब्द
मैंने यहाँ पर हनुमान चालीसा का हिन्दी तथा अंग्रेजी में उच्चारण के साथ उसका अर्थ भी बताया है। यदि इसमें मुझसे कहीं भी कोई त्रुटि हुई हो तो मुझे क्षमा कीजिएगा तथा मुझे मेरी गलतियों के बारे में बताकर उसे दूर करने में मेरा मार्गदर्शन कीजिएगा।
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जय श्रीराम! जय श्री हनुमान!
- श्री शंकराची आरती – जय देव जय देव जय श्रीशंकरा
- हनुमान जी की आरती – आरती कीजै हनुमान लला की
- संकटमोचन हनुमान अष्टक – बाल समय रवि भक्षी लियो तब…
- श्री राम स्तुति – श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन
- श्री गणेश चालीसा – जय जय जय गणपति गणराजू