जैसे को तैसा – Jaise Ko Taisa
पंचतंत्र की कहानियाँ – पहला तंत्र – मित्रभेद – जैसे को तैसा – Jaise Ko Taisa – Tit for Tat
दोस्तों, पंचतंत्र की हर कहानी हमें जीवन जीने की सीख देती है। आज की कहानी यह बताती है कि दुनियाँ में कोई अपने आप को कितना भी बुद्धिमान व चालक क्यों ना समझे उसका पाला कभी ना कभी उससे भी अधिक बुद्धिमान से पड़ सकता है। इसलिए अपनी बुद्धि का प्रयोग हमेशा दूसरों की भलाई के लिए ही करना चाहिए, नहीं तो मुँह की खानी पड़ सकती है जैसा इस कहानी के महाजन किरोड़ीमल के साथ हुआ। मैं जानती हूँ आपके मन जिज्ञासा से भर गया होगा, तो अब देर नहीं करते और पढ़ते है कहानी “जैसे को तैसा”
मेरी अमानत संभाल कर रखना
एक नगर में जीर्णधन नामक बनिये का लड़का रहता था। वह बहुत ही गरीब था। संपत्ति के नाम पर उसके पास केवल एक लोहे की तराजू थी, जो कि एक मण भारी थी। यह तराजू उसके पिताजी की आखरी निशानी थी। इसलिए वह उसको बहुत संभाल कर रखता था।
एक बार उसने निश्चय किया कि परदेस जाकर कुछ कमाकर लाया जाए। लेकिन इतनी भारी तराजू को तो वह अपने साथ नहीं ले जा सकता। उसने विचार किया कि इसे किसके पास रख कर जाऊँ जिससे यह सुरक्षित रह सके? बहुत सोच विचार करके नगर के महाजन करोड़ीमल के पास धरोहर स्वरूप रखने का निश्चय किया। वह तराजू लेकर महाजन के पास पँहुच गया।
🙍🏻♂️ जीर्णधन : काका, यह तराजू मेरे पिताजी की आखरी निशानी है, मैं धन कमाने के लिए परदेस जा रहा हूँ। इसलिए मैं इसे आपके पास धरोहर के रूप में रख कर जा रहा हूँ। जब मैं परदेस से वापस आऊँगा, तब मैं इसे आपसे वापस ले लूँगा।
👳 करोड़ीमल : हाँ-हाँ क्यों नहीं बेटा, तुम इसे मेरे पास रखकर निश्चिंत होकर परदेस चले जाओं। जब तुम वापस आओगे तो मैं यह तराजू तुम्हें वापस दे दूंगा। लेकिन इसके लिए तुम्हें कुछ मूल्य चुकाना पड़ेगा।
🙍🏻♂️ जीर्णधन : इसके लिए मुझे कितना मूल्य देना होगा।
👳 करोड़ीमल : तुम्हें एक पैसा प्रतिमाह देना होगा।
🙍🏻♂️ जीर्णधन : काका, अभी मेरे पास पैसे नहीं है, परदेस से आने के बाद मैं आपको आपका मूल्य चुका दूंगा और अपना तराजू आपसे ले जाऊंगा।
👳 करोड़ीमल : तब तो तुम्हें मुझे ब्याज भी देना होगा।
🙍🏻♂️ जीर्णधन : ठीक है।
इतना कहकर जीर्णधन परदेस चला गया। लगभग एक वर्ष के पश्चात् वह वापस आया और महाजन के पास अपना तराजू लाने के लिए गया। उसने महाजन करोड़ीमल से अपना तराजू मांगा।
तराजू तो चूहे खा गए
🙍🏻♂️ जीर्णधन : काका, आपके आशीर्वाद से मैं परदेस में बहुत धन कमा कर लाया हूँ। अब आप कृपया मेरे तराजू को इतने दिनों तक अपने पास धरोहर के रूप में रखने का मूल्य ले लें और मुझे मेरा तराजू वापस दे दें।
इतना भारी तराजू देखकर करोड़ीमल के मन में पाप आ गया था। वह उस तराजू को वापस नहीं देना चाहता था। इसलिए वह अपने चेहरे पर दु:ख के भाव लाते हुए बोला,
👳 करोड़ीमल : बेटा जीर्णधन, तुम्हारे तराजू को मैंने बहुत ही संभाल कर भंडारगृह में रखा था। लेकिन अभी कुछ ही दिन पहले जब मैं वहाँ गया तो देखा कि तुम्हारी तराजू तो चूहे खा गये।
अब भला लोहे की तराजू भी कोई चूहे खा सकते है! जीर्णधन सारी बात समझ गया कि इतनी भारी तराजू देखकर महाजन के मन में बेईमानी आ गई है और अब वह तराजू वापस नहीं देना चाहता। लेकिन अब वह कर ही क्या सकता था। उसने कुछ देर सोच कर कहा,
🙍🏻♂️ जीर्णधन : कोई बात नहीं काका, तराजू यदि चूहे खा गए है तो इसमें चूहों का दोष है, आपका नहीं।
👳 करोड़ीमल : लेकिन तराजू मेरे पास से खराब हुई है इसलिए तुम चाहो तो मैं तुम्हें उस पुरानी सी तराजू के पाँच पैसे दे सकता हूँ।
🙍🏻♂️ जीर्णधन : नहीं-नहीं काका, मेरे लिए वह उस तराजू का अमूल्य थी। उसके सामने पैसों का कोई मोल नहीं। मुझे उसकी एवज में कोई कुछ भी नहीं चाहिए। आप किसी बात की चिंता ना करें।
इतना कहकर जीर्णधन वहाँ से चला गया। करोड़ीमल मन ही मन बहुत खुश हुआ। कितनी आसानी से इतनी भारी तराजू उसकी हो गई थी।
चील उठाकर ले गई
दूसरे दिन सुबह जीर्णधन महाजन के घर के सामने से निकला और उससे कहा,
🙍🏻♂️ जीर्णधन : काका, मैं नदी में स्नान करने जा रहा हूँ। मैंने सोचा अकेले जाने से अच्छा है मैं आपके पुत्र धनदेव को भी अपने साथ ले जाऊँ। वह भी मेरे साथ नदी में स्नान कर लेगा।
महाजन जीर्णधन की सज्जनता से बहुत ही प्रभावित था। इसलिए उसने तुरंत अपने पुत्र धनदेव को उसके साथ भेज दिया।
जीर्णधन महाजन के पुत्र को साथ लेकर नदी पर चला गया। वहाँ पँहुच कर जीर्णधन ने धनदेव को नदी के पास वाली पहाड़ी की एक गुफा में छुपा दिया और गुफा का दरवाजा एक बड़े पत्थर से बंद कर दिया।
धनदेव को गुफा में बंद करने के बाद वह हाँफता हुआ महाजन करोड़ीमल के घर आया और बोला,
🙍🏻♂️ जीर्णधन : काका-काका, जब हम नदी पर नहा रहे थे तो एक बड़ी सी चील आई और आपके पुत्र को उठाकर ले गई।
जीर्णधन की बात सुनकर करोड़ीमल आवाक रह गया और उसने आश्चर्य से अपनी आँखे फैलाते हुए कहा,
👳 करोड़ीमल : ऐसा कैसे हो सकता है? इतने बड़े बच्चे को चील कैसे उठा कर ले जा सकती है?
🙍🏻♂️ जीर्णधन : ठीक उसी तरह काका, जिस तरह मण भर भारी तराजू को चूहे खा गए। यदि आपको अपना पुत्र वापस चाहिए तो मेरा तराजू मुझे वापस दे दीजिए।
👳 करोड़ीमल : यदि तुम मुझे मेरा पुत्र नहीं लौटाओगे तो मैं तुम्हें न्यायाधिकारी के पास ले जाऊंगा और तुम्हें तुम्हारे दुस्साहस की सजा दिलवाऊँगा।
🙍🏻♂️ जीर्णधन : मैं भी न्यायाधिकारी के पास चलने के लिए तैयार हूँ।
अब न्याय होगा
दोनों आपस में वाद-विवाद करने लगे। दोनों विवाद करते हुए राजमहल न्यायाधिकारी के समक्ष उपस्थित हो गए। करोड़ीमल ने न्यायाधिकारी को अपनी व्यथा सुनाते हुए कहा,
👳 करोड़ीमल : महानुभाव, यह लड़का मेरे पुत्र को अपने साथ नदी में स्नान कराने के लिए ले गया था। अब यह उसे मुझे वापस नहीं दे रहा है।
👨🏻⚖️ न्यायाधिकारी : तुम महाजन का पुत्र इसे वापस क्यों नहीं दे रहे हो?
🙍🏻♂️ जीर्णधन : कैसे दूँ महानुभाव, इनके पुत्र को तो चील उठा कर ले गई।
👨🏻⚖️ न्यायाधिकारी : ऐसा भी कहीं होता है कि इतने बड़े लड़के को चील उठा कर ले जाए।
🙍🏻♂️ जीर्णधन : क्यों नहीं महानुभाव, जब मण भर भारी तराजू को चूहे खा सकते हैं तो चील लड़के को उठा कर क्यों नहीं ले जा सकती?
👨🏻⚖️ न्यायाधिकारी : मुझे तुम्हारी बात समझ में नहीं आई, तुम क्या कहना चाहते हो? विस्तार से बताओ।
न्यायाधिकारी के पूछने पर जीर्णधन ने तराजू महाजन के पास रखने से लेकर अभी तक का सारा वृत्तान्त बता दिया। उसकी बात सुनकर न्यायाधिकारी को सारा मामला समझ में आ गया। वह जीर्णधन की बुद्धिमानी से बहुत प्रभावित हुआ। न्यायाधिकारी ने करोड़ीमल को तुरंत बिना कोई मूल्य चुकाये जीर्णधन का तराजू वापस लौटाने के लिए कहा।
करोड़ीमल ने जीर्णधन का तराजू वापस लौटा दिया। तराजू मिलने के बाद जीर्णधन ने भी करोड़ीमल के पुत्र को गुफा से लाकर उसे सौंप दिया।
सीख
“जैसे को तैसा” कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि लालच बुरी बला है। जो व्यक्ति अपने आप को ज्यादा समझदार समझ कर दूसरों को नुकसान पँहुचाने की कोशिश करते है, उन्हें कभी न कभी उनसे भी ज्यादा समझदार कोई मिल जाता है। जो उनको उनकी ही भाषा में जवाब दे देता है। सच ही कहा है “सेर को सवा सेर” मिल ही जाता है।
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तो दोस्तों, कैसी लगी पंचतंत्र की कहानियों के रोचक संसार में डुबकी। मजा आया ना, तो हो जाइए तैयार लगाने अगली डुबकी, .. .. .. ..
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