झितरिये की कहानी – Jhitariye Ki Kahani
झितरिया नामकरण
एक लड़का था उसका नाम बबलू था। वह सुंदर गाँव में अपने माता पिता के साथ रहता था।
वह बहुत ही गन्दा रहता था। वह ब्रश नहीं करता था और न ही अपने नाख़ून काटता था। उसके बाल लंबे-लंबे थे। वह न तो उनमे तेल लगाता और ना ही ढ़ंग से कंघी करता था। उसके दांत पीले-पीले और बाल बड़े-बड़े और उलझे हुए थे। नाख़ून बढे हुए थे और उनमे मैल जमा हुआ था।
वह बहुत-बहुत दिनों तक नहाता भी नहीं था। उसके शरीर पर मैल जमा रहता था और वह कपडे भी गंदे पहने रहता था।
वह बहुत जिद्दी भी था, किसी की बात भी नहीं सुनता था।
बड़े-बड़े और उलझे बालों के कारण गाँव के सभी लोग उसे झितरिया कहकर पुकारते थे, लेकिन उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था।
यहाँ तक कि वह भी अपना नाम झितरिया ही बताता था। गन्दा रहने के कारण वह कई बार बीमार भी पड़ता था, इसलिए वो बहुत दुबला-पतला था।
लेकिन फिर भी वह अपनी आदतों में सुधार नहीं करता था। उसके मम्मी पापा उसे बहुत समझाते थे लेकिन वह एक कान से सुनकर दुसरे कान से निकाल देता था।
मुझे तो जाना है
एक दिन उसे अपनी नानी की बहुत याद आ रही थी तो उसने अपनी मम्मी से कहा की “मम्मी-मम्मी मुझे नानी के यहाँ जाना है”।
उसकी नानी जंगल पार नंदन गाँव में रहती थी। उसकी मम्मी ने कहा कि “बेटा तेरी नानी यहाँ से बहुत दूर रहती है और रास्ते मैं जंगल भी पड़ता है। अभी तेरे पापा बाहर गए हुए है तीन-चार दिन में वापस आ जाएँगे तब अपन नानी के यहाँ चलेंगे”।
लेकिन झितरिया कहाँ मानने वाला था, उसने तो जिद ही पकड़ ली कि “नहीं मुझे तो आज ही जाना है”।
बहुत समझाने पर भी वह नहीं माना तो उसकी मम्मी ने गुस्से में कह दिया कि जा चला जा। बस फिर क्या था झितरिया नानी के घर के लिये रवाना हो गया।
चलते-चलते वह जंगल में पंहुच गया। जंगल में थोडा आगे गया तो उसे एक शेर मिला।
अरे बाबा शेर
🦁 शेर : ऐ लड़के रूक जा। क्या नाम है तेरा ?
👩🦱 झितरिया : झितरिया।
🦁 शेर : मुझे बहुत भूख लगी है, मैं तुझे खाऊंगा।
👩🦱 झितरिया : नहीं-नहीं शेर महाराज, मुझे मत खाओ, मुझे मत खाओ।
🦁 शेर : नहीं, मुझे तो बहुत भूख लगी है, मैं तो तुझे खाऊंगा।
👩🦱 झितरिया : नहीं-नहीं शेर महाराज, मुझे मत खाओ। देखो मैं तो कितना दुबला-पतला और छोटा सा हूँ। मुझे खाकर आपकी भूख भी नहीं मिटेगी।
🦁 शेर : तो क्या हुआ, तुझे खाकर मेरा कुछ तो पेट भरेगा। इसलिए मैं तो तुझे खाऊंगा।
👩🦱 झितरिया : देखो शेर महाराज, मैं तो कितना गन्दा हूँ, मेरे बाल बढे हुए है, मेरे नाख़ून भी गंदे है और मेरे शरीर पर भी कितना मैल जमा हुआ है। आप मुझे खाओगे तो बीमार पड जाओगे।
🦁 शेर : हाँ, ये बात तो सही है।
👩🦱 झितरिया : मैं अपनी नानी के यहाँ जा रहा हूँ। नानी मेरा बहुत ख्याल रखेगी।
🦁 शेर : तो क्या होगा ?
👩🦱 झितरिया : “नानी के घर जाऊंगा, दूध मलाई खाऊंगा |
मोटा ताजा बन जाऊंगा तब तुम मुझको खा लेना”।|
शेर ने सोचा ये बात भी ठीक हे। अभी तो मैं कोई दूसरा शिकार कर लेता हूँ। वैसे भी ये तो कितना गन्दा है, मैं इसे खाकर बीमार पड़ जाऊंगा। अभी इसे जाने देता हूँ।
🦁 शेर : ठीक है, अभी तो मैं तुझे जाने देता हूँ। लेकिन नानी के यहाँ से आते वक्त तू मुझसे जरूर मिलना, तब मैं तुझे खाऊंगा।
👩🦱 झितरिया : हाँ ठीक है।
चीते को भी गच्चा
ऐसा कहकर झितरिया आगे चलने लगा। आगे मार्ग में उसे एक चीता मिला।
🐯 चीता : ऐ लड़के रूक जा। क्या नाम है तेरा ?
👩🦱 झितरिया : झितरिया।
🐯 चीता : मुझे बहुत भूख लगी है, मैं तुझे खाऊंगा।
👩🦱 झितरिया : नहीं-नहीं चीते जी, मुझे मत खाओ, मुझे मत खाओ।
🐯 चीता : नहीं, मुझे तो बहुत भूख लगी है, मैं तो तुझे खाऊंगा।
👩🦱 झितरिया : नहीं-नहीं चीते जी, मुझे मत खाओ। देखो मैं तो कितना छोटा और दुबला-पतला हूँ और आपका पेट कितना बड़ा है। मुझे खाकर आपकी भूख भी नहीं मिटेगी।
🐯 चीता : तो क्या हुआ, तुझे खाऊंगा तो मेरे पेट में कुछ तो जायेगा, मैं तो तुझे खाऊंगा|
👩🦱 झितरिया : देखो चीते जी, मैं तो कितना गन्दा हूँ, मेरे बाल बढे हुए है, मेरे नाख़ून भी गंदे है, और मेरे शरीर पर कितना मैल जमा हुआ है। आप मुझे खाओगे तो बीमार पड जाओगे।
🐯 चीता : हाँ, तेरी ये बात तो ठीक है।
👩🦱 झितरिया : मैं अपनी नानी के यहाँ जा रहा हूँ। नानी मेरा बहुत ख्याल रखेगी।
🐯 चीता : नानी के घर जाने से क्या होगा ?
👩🦱 झितरिया : “नानी के घर जाऊंगा, दूध मलाई खाऊंगा,
मोटा ताजा बन जाऊंगा, तब तुम मुझको खा लेना”।
चीते ने सोचा ये बात भी ठीक हे। अभी मैं कोई दूसरा शिकार कर लेता हूँ। ये तो वैसे भी कितना गन्दा है, मैं इसे खाकर बीमार पड़ जाऊंगा। अभी इसे जाने देता हूँ।
🐯 चीता : ठीक है, अभी तो मैं तुझे जाने देता हूँ। लेकिन जब भी तू नानी के यहाँ से आएगा तो आते वक्त तू मुझसे जरूर मिलना, तब मैं तुझे खाऊंगा।
👩🦱 झितरिया : हाँ ठीक है।
तुम क्या चीज हो?
ऐसा कहकर झितरिया फिर आगे चलने लगा। आगे मार्ग में उसे एक भालू मिला।
🐻 भालू : ऐ लड़के रूक जा। क्या नाम है तेरा ?
👩🦱 झितरिया : झितरिया।
🐻 भालू : मुझे बहुत भूख लगी है, मैं तुझे खाऊंगा।
👩🦱 झितरिया : नहीं-नहीं भालू जी, मुझे मत खाओ, मुझे मत खाओ।
🐻 भालू : नहीं-नहीं, मुझे तो बहुत भूख लगी है, मैं तो तुझे खाऊंगा।
👩🦱 झितरिया : नहीं-नहीं भालू जी, मुझे मत खाओ। देखो मैं तो कितना छोटा सा हूँ, और आपका पेट कितना बड़ा है, मुझे खाकर आपकी भूख भी नहीं मिटेगी।
🐻 भालू : तो क्या हुआ, तुझे खाकर मेरा कुछ तो पेट भरेगा इसलिए मैं तो तुझे खाऊंगा।
👩🦱 झितरिया : देखो भालू जी मैं तो कितना गन्दा हूँ, मेरे बाल बढे हुए है, मेरे नाख़ून भी गंदे है और मेरे शरीर पर कितना मैल जमा हुआ है। आप मुझे खाओगे तो बीमार पड जाओगे।
🐻 भालू : हाँ, तुम्हारी ये बात तो सही है।
👩🦱 झितरिया : मैं अपनी नानी के घर जा रहा हूँ। नानी मेरा बहुत ख्याल रखेगी।
🐻 भालू : तो मैं क्या करूं ?
👩🦱 झितरिया : “नानी के घर जाऊंगा, दूध मलाई खाऊंगा,
मोटा ताजा बन जाऊंगा, तब तुम मुझको खा लेना”।
भालू ने सोचा ये बात भी ठीक हे। अभी मैं कोई दूसरा शिकार कर लेता हूँ। ये तो वैसे भी कितना गन्दा है, मैं इसे खाकर बीमार पड़ जाऊंगा। अभी इसे जाने देता हूँ।
🐻 भालू : ठीक है, अभी तो मैं तुझे जाने देता हूँ। लेकिन जब भी तू नानी के यहाँ से आएगा तो आते वक्त तू मुझसे जरूर मिलना, तब मैं तुझे खाऊंगा।
👩🦱 झितरिया : हाँ-हाँ ठीक है।
प्यारी नानी का घर
भालू से भी वादा करके झितरिया फिर आगे चलने लगा। चलते-चलते वह अपनी नानी के यहाँ पहुंच गया। उसकी नानी घर के बाहर ही बैठी हुई थी। झितरिये ने नानी को प्रणाम किया।
👩🦱 झितरिया : नानी प्रणाम।
👵 नानी : अरे-अरे कौन है तू ?
👩🦱 झितरिया : नानी, मुझे नहीं पहचाना मैं झितरिया, आपका नाती।
👵 नानी : झितरिया ! कौन झितरिया ?
👩🦱 झितरिया : नानी, झी-झितरिया नहीं ब–बबलू, आपका नाती।
👵 नानी : हे भगवान ! तू बबलू है, इतना गन्दा ! पहचान में ही नहीं आ रहा।
~~~ झितरिया घर के अन्दर जाने लगता है तो नानी उसे पकड़कर नाई के पास ले जाकर उसके बाल कटवाती है, फिर नीम के पेड़ से दातुन तोड़कर उसके दांत साफ करवाती है और फिर उसे कुएं पर ले जाकर नहलाती है।
उसके बाद नानी उसे घर में ले जाकर साफ सुथरे कपडे पहनाती है। उसके बालों में तेल लगाकर कंघी करती है।
उसके नाख़ून काटती है। उसके बाद नानी उसे अपने पास बैठाकर दूध मलाई खिलाती है। नानी ने उसे डांटकर कहा कि यदि मेरे यहाँ रहना है तो रोज मंजन करके नहाना पड़ेगा उसके बाद ही तुम्हे कुछ खाने को मिलेगा।
अब माँ के पास कैसे जाऊँ
बेचारा झितरिया क्या करता उसे नानी की बात मानकर नानी के यहाँ ही रहना पड़ा, क्योंकि जंगल में तो शेर, चीता और भालू उसका इंतजार कर रहे थे। ~~~
झितरिये को नानी के यहाँ रहते हुए कई दिन बीत गए, अब वह बहुत ही साफ सुथरा और तंदुरुस्त हो गया था। लेकिन अब उसे अपने मम्मी पापा की याद आने लगी, वो उदास रहने लगा तो नानी ने उससे इसका कारण पूछा,
👵 नानी : बेटा, क्या हुआ आजकल तुम उदास क्यों रहते हो ?
👩🦱 झितरिया : नानी, मुझे मम्मी पापा की याद आ रही है।
👵 नानी : तो इसमे क्या है, जैसे तू अपने घर से मेरे यहाँ आया था, वैसे ही अपने घर भी चला जा।
👩🦱 झितरिया : लेकिन नानी मैं अकेला कैसे जाऊं ?
👵 नानी : अरे तू अकेला ही तो आया था, फिर अब अकेले जाने में क्या परेशानी है ?
👩🦱 झितरिया : नानी, आते वक्त जंगल में मुझे शेर, चीता और भालू मिले थे, लेकिन तब तो मैंने उन्हें बहला-फुसला दिया। लेकिन अब वे मेरा इंतजार कर रहे है। जैसे ही में जंगल में जाऊँगा, वे मुझे खा जाएँगे।
👵 नानी : हे भगवान ! लेकिन मैं भी अब बूढी हो चुकी हूँ, इसलिए मैं भी तुम्हारे साथ नहीं चल सकती।
चाल म्हारी ढोलकी ढमाक ढम
~~~ नानी कुछ सोचती है, फिर कहती है कि तू चिंता मत कर। यह कहकर नानी घर के अन्दर से एक बड़ी सी ढोलकी लेकर आती है, जिसमे दो छेद भी होते है।
नानी उससे कहती है कि ये जादू की ढोलकी है। इसमें बैठकर जैसे ही तुम बोलोगे “चाल म्हारी ढोलकी ढमाक ढम” तो यह चलने लग जाएगी और जैसे ही तुम बोलोगे “ढोलकी रे ढोलकी रूक जा” तो ढोलकी रूक जाएगी।
नानी झितरिये को ढोलकी में बैठाकर ढक्कन लगा देती है और कहती है “चाल म्हारी (मेरी) ढोलकी ढमाक ढम” तो ढोलकी लुड़कने लग जाती है।
लुड़कते-लुड़कते ढोलकी जंगल में पहुँच जाती है। जंगल में सबसे पहले ढोलकी को भालू मिलता है। ~~~
🐻 भालू : “ढोलकी रे ढोलकी रूक जा” (तो ढोलकी रूक कर सीधी खड़ी हो जाती है|)
🐻 भालू : ढोलकी रे ढोलकी तूने झितरिये को देखा क्या ?
तो ढोलकी के अन्दर से झितरिया बोलता है :
👩🦱 झितरिया : “कुण (कौन) रे झितरियो कुण रे तुम, चाल म्हारी ढोलकी ढमाक ढम”
और ढोलकी फिर से लुड़कने लग जाती है। थोडा आगे जाने पर ढोलकी को चीता मिलता है।
🐯 चीता : “ढोलकी रे ढोलकी रूक जा” (तो ढोलकी रूक कर सीधी खड़ी हो जाती है।)
🐯 चीता : ढोलकी रे ढोलकी तूने झितरिये को देखा क्या ?
तो ढोलकी के अन्दर से झितरिया बोलता है
👩🦱 झितरिया : “कुण रे झितरियो कुण रे तुम, चाल म्हारी ढोलकी ढमाक ढम”
और ढोलकी फिर से लुड़कने लग जाती है। थोडा आगे जाने पर ढोलकी को शेर मिलता है।
🦁 शेर : “ढोलकी रे ढोलकी रूक जा” (तो ढोलकी रूक कर सीधी खड़ी हो जाती है।)
🦁 शेर : ढोलकी रे ढोलकी तूने झितरिये को देखा क्या ?
तो ढोलकी के अन्दर से झितरिया बोलता है :
👩🦱 झितरिया : “कुण रे झितरियो कुण रे तुम, चाल म्हारी ढोलकी ढमाक ढम”
और ढोलकी फिर से लुड़कने लग जाती है।
लौट के बुद्धू घर को आए
लुड़कते-लुड़कते ढोलकी झितरिये के घर में पहुँच जाती है|
घर के अन्दर पहुँच कर झितरिया कहता है “ढोलकी रे ढोलकी रूक जा” तो ढोलकी रूक जाती है। झितरिये की माँ ढोलकी को देखकर घबरा जाती है, अरे–अरे! ये कौन मेरे घर के अन्दर घुसा चला आ रहा है।
झितरिया ढोलकी में से निकल कर अपनी माँ के गले लग जाता है।
अपने बेटे को इतना साफ सुथरा और तंदुरूस्त देख कर माँ बहुत खुश होती है। उसके बाद से झितरिया एक अच्छा बच्चा बन जाता है।
सीख
चतुराई और संयम से जीवन में आने वाली किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है।
~~~~~~~~~~~~~~~~ ****************~~~~~~~~~~~~~~~~~~
तो दोस्तों, “कैसी लगी ये रीत, कहानी के साथ-साथ मिली सीख”! आशा करती हूँ आप लोगों ने खूब enjoy किया होगा। फिर मिलेंगे कुछ सुनी और कुछ अनसुनी कहानियों के साथ। तब तक के लिए इजाजत दीजिए।
पिछली कहानी – एक राजकुमारी की कहानी – बोलने वाली गुड़िया
अब एक छोटा सा काम आपके लिए भी, अगर यह कहानी आपको अच्छी लगी हो, तो इस पेज को Bookmark कर लीजिये और सोशल मीडिया जैसे Facebook, Twitter, LinkedIn, WhatsApp (फेसबुक टि्वटर लिंकडइन इंस्टाग्राम व्हाट्सएप) आदि पर अपने दोस्तों को शेयर कीजिए।
अगली कहानी – चार भूतों से अपना काम निकलवाने वाले लड़के की कहानी – चार भूतों की कहानी
अपनी राय और सुझाव Comments Box में जरूर दीजिए। आपकी राय और सुझावों का मुझे इंतजार रहेगा, जिससे मैं अपनी कहानियों में और सुधार कर सकूँ।