कौवों की गिनती – Kauvon Ki Ginati
अकबर बीरबल के किस्से – कौवों की गिनती – Kauvon Ki Ginati – The Crow Counting
नमस्कार दोस्तों, बीरबल की चतुराई, बुद्धिमता और हाज़िरजवाबी के तो सभी कायल थे। इसी कारण वे अकबर के बहुत करीब थे। अकबर भी कभी-कभी बीरबल से थोड़ी सी चुहल कर लेते थे।
कभी-कभी अकबर बीरबल से ऐसे-ऐसे प्रश्न पूछ लेते थे जिनका न सर होता था न पैर, फिर भी बीरबल अपने चातुर्य व हाजिरजवाबी से उनका ऐसा उत्तर देते थे कि उनके दुश्मन भी उनकी तारीफ़ किये बिना नहीं रह पाते थे।
आज मैं आपके लिए लाई हूँ एक ऐसा ही चुहल भरा किस्सा, जिसे सुनकर आपके अधरों पर भी मुस्कान आ जाएगी।
बीरबल का कौवों को उड़ाना
एक बार अकबर और बीरबल शाही बगीचे में टहल रहे थे। ठंडी-ठंडी हवा चल रही थी और पक्षी कलरव कर रहे थे। तभी एक पेड़ पर एक कौवा आकर जोर-जोर से कांव-कांव करने लगा।
अकबर को कौवे का ये खलल अच्छा नहीं लगा और उन्होंने बीरबल को उस कौवे को उड़ाने के लिए कहा। अकबर की आज्ञा मान कर बीरबल उस कौवे को हुश-हुश करके उड़ाने लगे।
बीरबल को ऐसा करते देख कर अकबर की हंसी छूट गई और उनके मन में एक शरारत सूझी।
अकबर की शरारत
बीरबल जब कौवे को उड़ाकर वापस आये तो अकबर ने बीरबल से कहा, “बीरबल, मैं जानना चाहता हूँ कि हमारे राज्य में कुल कितने कौवे है। ” एक पल तो बीरबल अकबर का सवाल सुनकर चकरा गए, लेकिन अकबर के मुख पर शरारत भरी मुस्कान देख कर वे सब समझ गए।
उन्होंने अकबर से कहा, “जहाँपनाह,मैं आपको कौवों की गिनती कर के बता सकता हूँ, लेकिन इस काम में काफी समय लगेगा। आप मुझे एक सप्ताह का समय दीजिये। ” अकबर ने अपनी सहमती प्रदान कर दी।
फिर क्या था अगले ही दिन बीरबल दरबार से छुट्टी लेकर घर बैठ गए। अकबर ने बुलावा भेजा तो उन्होंने कहलवा दिया कि बादशाह सलामत से कह दो कि बीरबल कौवों की गिनती में लगे हुए है, गिनती बीच में छोड़कर दरबार में नहीं आ सकते। अकबर का मन बीरबल के बिना नहीं लगता था, लेकिन अब वें कर भी क्या सकते थे, कौवों की गिनती का आदेश भी तो उन्हीं का था।
बीरबल की हाजिरजवाबी
खैर पूरे एक सप्ताह तक बीरबल अपने घर में मजे से रहे और सप्ताह पूरा होने पर दरबार पहुंचे और अकबर को सलाम करते हुए कहा, “आदाब अर्ज है जहाँपनाह, आपके आदेशानुसार मैंने कौवों की गिनती कर ली है। हमारे राज्य में 9289 कौवे है। आप चाहे तो दुबारा गिनती करवा सकते है ।”
अकबर ने कहा, “हमारे दुबारा गिनती करवाने पर यदि कौवे संख्या में ज्यादा हुए तो?” बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा, “तो हो सकता है जहाँपनाह, हमारे राज्य के कुछ कौवे दूसरे राज्यों में रहने वाले अपने रिश्तेदारों के यहाँ गए हुए हों।”
बादशाह अकबर ने कहा, “और यदि कौवों की संख्या कम हुई तो?” बीरबल ने कहा, “बादशाह सलामत, तब हो सकता है, दूसरे राज्यों में रहने वाले कुछ कौवे हमारे राज्य में रहने वाले अपने रिश्तेदारों से मिलने यहाँ आये हुए हों।” बीरबल के मुख से यह सुनकर पूरा दरबार ठहाकों से गूंज उठा और अकबर भी ठहाका लगा कर हँस पड़े।
तो देखा न दोस्तों कैसे बीरबल ने अपनी चतुराई और हाज़िरजवाबी से इस ऊँटपटांग समस्या का समाधान कर दिया। यदि दिमाग का सही इस्तेमाल किया जाए तो ऐसी कोई भी समस्या नहीं जिसका हल न निकला जा सकें। तो दोस्तों आज के लिए बस इतना ही। चलती हूँ फिर से मिलने के लिए “ख़ुदा हाफिज”।
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