मूर्ख बगुला और केकड़ा – Murkh Bagula Aur Kekda
पंचतंत्र की कहानियाँ – पहला तंत्र – मित्रभेद – मूर्ख बगुला और केकड़ा – Murkh Bagula Aur Kekda – The Foolish Wader and Crab
अब मैं क्या करूँ
जंगल में एक नदी के किनारे बहुत बड़ा बरगद का पेड़ था। उस पर बहुत सारे बगुले अपने परिवार के साथ रहते थे। उसी पेड़ के नीचे एक बिल में एक सांप रहता था। वह मौका मिलते ही बगुलों के छोटे-छोटे बच्चों को खा जाया करता था।
एक बार उसने एक बगुले के सारे बच्चों को खा लिया। वह उस बगुले के बच्चों को पहले भी कई बार खा चुका था। बार-बार अपने बच्चों को सांप के द्वारा खाए जाने से वह बहुत दुखी था।
एक दिन वह दुखी होकर नदी के किनारे आकर बैठ गया और आँसू बहाने लगा। उसी नदी में एक केकड़ा भी रहता था। जब उसने बगुले को नदी किनारे बैठ कर आँसू बहाते हुए देखा तो वह डरते-डरते बगुले के पास गया और पूछा,
🦀 केकड़ा – “क्या बात है मामा, आप रो क्यों रहे हो?
🦢 बगुला – (दुखी होते हुए) क्या बताऊँ भांजे, मैं पेड़ के नीचे रहने वाले सांप से बहुत परेशान हूँ।
🦀 केकड़ा – क्यों, क्या किया उसने तुम्हारे साथ?
🦢 बगुला – ये दुष्ट सांप हर बार मेरे बच्चों को खा जाता है। मुझे समझ ही नहीं या रहा है कि मैं इस दुष्ट से अपने बच्चों की रक्षा कैसे करूँ।
🦀 केकड़ा – तो तुम इस सांप को मार डालों।
🦢 बगुला – मैं सांप को कैसे मार सकता हूँ। मैं जैसे ही उसके पास जाऊंगा वह मुझे भी मारकर खा जाएगा। मुझे तो इस सांप को मारने का कोई उपाय समझ में नहीं आता। यदि तुम्हारे पास कोई उपाय हो तो मुझे बताओ।
एक वार दो शिकार
उसकी बात सुन कर केकड़े ने मन में सोचा ये बगुले और वह सांप दोनों ही मेरे जन्मजात दुश्मन है। आज तो यह दुखी और परेशान है इसलिए मुझसे बात कर रहा है। नहीं तो ये तो मुझे देखते ही मुझे झपट कर मुझे खा ले। इसे कुछ ऐसा उपाय बताता हूँ जिससे सांप के साथ-साथ इन सबका ही नाश हो जाए और मैं आराम से रह सकूँ। कुछ देर सोच कर उसने बगुले से कहा,
🦀 केकड़ा – मामा, यहाँ से कुछ ही दूर एक कोटर में एक नेवला रहता है। तुम तो जानते ही हो नेवला सांपों का दुश्मन होता है। तुम किसी तरह उस नेवले को उस सांप तक पँहुचा दो तो वह उस सांप को मार कर खा जाएगा।
🦢 बगुला – लेकिन भांजे, मैं उस नेवले को यहाँ कैसे लाऊँगा?
🦀 केकड़ा – धीरज धरों मामा, मैं वही तो बता रहा हूँ। तुम मछलियों के मांस के कुछ टुकड़े नेवले के बिल के आगे डाल दो और कुछ टुकड़ों को उसके बिल से शुरू करके थोड़ी-थोड़ी दूरी पर रखते हुए सांप के बिल तक बिखेर दो। नेवला उन मांस के टुकड़ों को खाता हुआ सांप के बिल तक पँहुच जाएगा और सांप को देखते ही उसे मार कर खा जाएगा।
मैं ऐसा ही करूंगा
🦢 बगुला – (खुशी से उछलते हुए) वाह -वाह भांजे, क्या उपाय बताया है। मैं तुरंत ही तुम्हारे उपाय को प्रयोग में लाता हूँ।
सांप को मारने की खुशी में वह यह भी भूल ही गया कि नेवला तो बगुलों का भी दुश्मन होता है। केकड़े के बताए उपाय के अनुसार बगुले ने नदी से बहुत सारी मछलियों को पकड़ लिया और उनके छोटे-छोटे टुकड़े करके नेवले के बिल से लेकर सांप के बिल तक बिखेर दिया।
नेवले को जब मछलियों के मांस की खुशबू आई तो वह अपने बिल से बाहर आया और मांस के टुकड़ों को खाते-खाते सांप के बिल तक पँहुच गया। उधर सांप भी मछलियों के मांस की खुशबू सूंघकर बिल के बाहर आ गया। नेवले और सांप ने एक दूसरे को देखा और दोनों एक दूसरे पर पिल पड़े।
दोनों में बहुत देर तक लड़ाई हुई लेकिन आखिरकार नेवले ने सांप को मार ही दिया। सांप को खाकर नेवला कुछ देर सुस्ताने के लिए पेड़ के नीचे लेटा तो उसे पेड़ पर बैठे बगुले दिखाई दिये। बगुलों को देखकर वह बहुत खुश हुआ। उसके लिए कई दिनों तक के भोजन का इंतजाम हो गया था।
अब तो बगुला रोज वहाँ आता और किसी न किसी बगुले को मारकर खा जाता। थोड़े ही दिनों में वह कई बगुलों को मारकर खा गया और कुछ बगुले अपनी जान बचाने के लिए उस पेड़ को छोड़कर कहीं और चले गए। केकड़ा अपनी चतुराई से बहुत खुश था। उसके सभी शत्रुओं का नाश हो चुका था।
अब वह बेफिक्र होकर मजे से नदी में रहने लगा।
सीख
बिना विचारे जो करे, वो पाछे पछताए
पिछली कहानी – धर्मबुद्धि और पापबुद्धि की कहानी – मित्रदोह का फल
तो दोस्तों देखा आपने, बगुले ने अपनी मूर्खता और बिना विचारे काम करने के कारण अपने ही नहीं अपने स्वजनों के प्राणों को भी गंवा दिया। उसको तो पछताने का भी मौका नहीं मिला। सही ही कहा है, “बिना विचारे जो करे, वो पाछे पछताए”।
वहीं दूसरी ओर मेंढक ने कितनी चतुराई से अपने सभी शत्रुओं से छुटकारा पा लिया।
तो दोस्तों, कैसी लगी पंचतंत्र की कहानियों के रोचक संसार में डुबकी। मजा आया ना, तो हो जाइए तैयार लगाने अगली डुबकी, .. .. .. ..
अगली कहानी – जैसे को तैसा
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