नीला सियार – Neela Siyaar
पंचतंत्र की कहानियाँ – पहला तंत्र – मित्रभेद – नीला सियार – Neela Siyaar – The Blue Jackal
पंचतंत्र की इस कहानी में यह बताया गया है कि अपने स्वभाव के विरुद्ध कार्य करने वाले या अपनों को छोड़कर परायों के साथ रहने वाले का अंत निश्चित होता है।
दुष्ट सियार
काननवन में चंडरव नामक सियार रहता था। वह बड़ा दुष्ट था। उसे दूसरे जानवरों को तंग करने में बड़ा आनंद मिलता था।
वह कसी भी बात में मिर्च-मसाला मिलाकर जंगल के जानवरों को आपस में लडवा देता, किसी पक्षी का घोंसला तोड़ देता, तो किसी को टंगड़ी डाल कर गिरा देता, फिर उनपर खूब हँसता।
जंगले के सारे जानवर उससे बहुत त्रस्त और दुखी थे। उसकी तो उसके खुद की बिरादरी के साथी सियारों से भी नहीं बनती थी।
इसलिए सियारों की टोली भी उसे अपने साथ नहीं रहने देती थी। लेकिन इससे उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था, उसे तो दूसरों को सताने में बड़ा मजा आता था।
रंग चढ़ गया
एक बार की बात है, चंडरव सियार शिकार की तलाश में जंगल से बहुर दूर एक बस्ती में पंहुच गया। तभी बस्ती के कुत्तो की टोली ने उस पर हमला बोल दिया।
चंडरव सियार अपनी जान बचा कर भागा। भागते-भागते उसके सामने एक दीवार आ गयी। उसने आव देखा ना ताव झट से उस दीवार पर छलांग लगा कर उसके दूसरी तरफ कूद गया।
दीवार के दूसरी तरफ एक धोबी का घर था। वहाँ रंगों से भरे कुछ ड्रम पड़े थे, वह एक नीले रंग के ड्रम में गिर गया। वह तब तक उसी ड्रम में बैठा रहा, जब तक कि कुत्तों की टोली वहां से दूर नहीं चली गयी।
जब उसे विश्ववास हो गया की कुत्तों की टोली उससे दूर चली गयी है, तो वह ड्रम से बाहर निकला। लेकिन इतनी देर तक नीले रंग के ड्रम में बैठे रहने के कारण उसका सारा शरीर नीला हो चुका।
इस बात से अनजान वह ड्रम से निकलकर काननवन की ओर ऐसा भागा, कि वहां पहुँच कर ही चैन की सांस ली।
ये कौन आया?
जैसे ही वह जंगल में पंहुचा जंगल के जानवर उसे देख कर डर के कारण उससे दूर भागने लगे। चंडरव सियार की कुछ समझ में नहीं आया कि आज सारे जानवर उसे देखकर डर क्यों रहे है ?
इतनी भागा दौड़ी करने के बाद उसे बहुत जोर से प्यास लगी थी। इसलिए वह नदी पर पानी पीने चला गया। जब वह नदी में पानी पी रहा था तभी उसकी नजर अपनी परछाई पर पड़ी और वह डर कर पीछे हो गया। उसने इधर-उधर देखा लेकिन आस-पास कोई नहीं था।
वह हिम्मत करके वापस नदी किनारे गया और फिर से नदी में झाँका तो उसे फिर से नीले रंग के जानवर की परछाई दिखाई दी।
उसने दो तीन बार एसा किया तो उसे समझ में आ गया कि यह तो उसकी ही परछाई है, उसका पूरा शरीर नीला हो चुका है, वह तो बेकार में ही डर रहा है।
उसे यह भी समझ में आ गया कि जंगल के जानवर उससे डर कर क्यों भाग रहे थे।
ईश्वर का दूत
उसने इस बात का फायदा उठाने का सोचा और वह जगल की सबसे ऊँची पहाड़ी पर गया और जोर से बोला. “जंगल के सभी जानवरों सुनों, सभी यहाँ इस पहाड़ी के नीचे आ जाओ मैं तुम्हे भगवान् का सन्देश सुनना चाहता हूँ। ”
उसके बार-बार कहने पर कानन वन के सभी जानवर डरते-डरते पहाड़ी के नीचे एकत्रित हो गए। तब चंडरव सियार ने ऊँची आवाज में कहा, “मेरा नाम ककुद्द्रुम है, मुझे भगवान् ने एक नया रूप और रंग देकर इस सन्देश के साथ यहाँ भेजा है कि आज से तुम काननवन के राजा हो और यहाँ के सभी जानवर तुम्हारी प्रजा है और उनकी रक्षा करना तुम्हारा कर्तव्य है।”
“इसलिए भगवान् की आज्ञा मान कर मैं यहाँ आया हूँ। तुम लोगों को भी भगवान् की आज्ञा का सम्मान करते हुए मुझे अपना राजा स्वीकार कर लेना चाहिए। देखो मैंने आते तुम सब लोगों की रक्षा के लिए चंडरव सियार को भी यहाँ से भगा दिया है। अब वो तुम लोगों को परेशान करने के लिए कभी यहाँ नहीं आएगा। ”
उसकी बात सुनकर काननवन के भोले –भाले जानवर उसकी बातों में आ गए और सबने उसे राजा मानते हुए उसकी जय-जयकार लगाईं, “महाराज ककुद्द्रुम की जय, महाराज ककुद्द्रुम की जय”|
यह सब देख कर चंडरव मन ही मन बहुत खुश हुआ और बोला, “तुम सबने मुझे अपना राजा मान लिया है, इसलिए अब तुम लोगो को किसी से भी डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। तुम सब अब बिना डरे इस जंगल में रहों।
क्या हुक्म है मेरे आका
लेकिन तुम सभी को मेरी हर आज्ञा का पालन करना होगा और मेरे रहने खाने- पीने की पूरी व्यवस्था करनी होगी। जो कोई भी एसा नहीं करेगा भगवान् उससे नाराज हो जायेंगे और उसे कडा दंड देंगे। ”
एक तो चंडरव के नीले रंग का डर और ऊपर से भगवान् का सन्देश इसलिए काननवन के सभी जानवर यहाँ तक कि शेर, चीता और बाघ भी उसकी सेवा में लग गए।
उसने शेर, चीता, बाघ, भेड़िया, हाथी जैसे शक्तिशाली जानवरों को अपने मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया और उनके बल पर पूरे काननवन पर राज करने लगा। वह जानवरों की सभा बुलाता और उनसे अपनी हर इच्छा का पालन करवाता।
अब उसके लिए खाने-पीने, रहने किसी चीज की कोई कमी नहीं थी। सभी जानवर इस डर से उसकी सेवा में लगे रहते कि कही भगवान् उनसे नाराज़ न हो जाए और उसकी हर आज्ञा का पालन करते।
ये तुमने अच्छा नहीं किया
जानवरों के इसी डर का फायदा उठाकर उसने अपने दुश्मनों और अपनी बिरादरी के सियारों की टोली को जंगल से बाहर निकलवा दिया।
सियारों की टोली अपने इस देश निकाले से बहुत खफा थी।
उन सबने मिलकर एक सभा बुलाई और विचार किया कि राजा नीलवर्ण आकार में तो हम सियारों जैसा ही हे बस उसका रंग हमसे अलग नीला है। जरूर इसमें कोई भेद है, हमें इसका पता लगाना चाहिए।
तू डाल-डाल तो हम पात-पात
उन्होंने ककुद्द्रुम (चंडरव) के बारे में पूरी जानकारी लेने का निश्चय किया। अब उनमे से कुछ सियार ककुद्द्रुम (चंडरव) के ऊपर चुप कर नज़र रखने लगे।
उन्होंने देखा कि ककुद्द्रुम (चंडरव) रोज रात को जब सारे जानवर सो जाते, तब चुपचाप अपनी गुफा से बाहर निकल कर दूर जाता है और वहां दो तीन बार हुआं-हुआं की आवाज निकालकर जोर-जोर से चिल्लाता है और फिर वापस अपनी गुफा में आकर सो जाता है।
सियारों की टोली को ककुद्द्रुम की सच्चाई पता चल गई थी कि वह और कोई नहीं चंडरव सियार ही है, और वह कानन वन के भोले-भाले जानवरों को मूर्ख बनाकर उनका फायदा उठा रहा है।
मिले सुर मेरा तुम्हारा
उन सबने उसे सबक सिखाने की सोची और एक योजना बनाई।
एक बार जब ककुद्द्रुम (चंडरव सियार) अपने मंत्रिमंडल के साथ जानवरों की सभा ले रहा था, तब सियारों की टोली ने एक के बाद एक ऊँची आवाज में हुआं-हुआं करके चिल्लाना शुरू कर दिया।
हुआं-हुआं की आवाज सुनकर चंडरव सियार का भी मन हूंकने को हुआ, लेकिन उसने अपने जन्मजात स्वभाव (सियारों व कुत्तों आदि जानवरों का जन्मजात स्वभाव होता है कि यदि कोई एक सियार या कुत्ता अपनी आवाज में हूंकना या भोंकना शुरू करता है तो उसके देखा देखी दूसरे सियार और कुत्ते भी हूंकना या भोंकना शुरू कर देते है। ) पर काबू रखने की कोशिश की।
लेकिन जब बहुत देर तक सियारों की टोली ने हूंकना बंद नहीं किया तो वह अपने आप को नहीं रोक नहीं सका और मुहं ऊँचा करकर हुआं-हुआं करना चालू कर दिया।
उसे इस तरह से हूंकते देख कर एक बार तो सभी जानवर सकपका गए, लेकिन जल्द ही वे सारी बात समझ गए कि यह कोई और नहीं चंडरव सियार ही है।
उंहें उसके कपट पर बहुत गुस्सा आया और शेर, चीता और भेड़िया तीनों ही गुस्से से उसके ऊपर झपट पड़े और उसका काम तमाम कर दिया। चंडरव सियार को उसके किये कपट की सजा मिल चुकी थी।
नीला सियार कहानी का वीडियो – Neela Siyaar
सीख
कपट का फल और कपटी का अंत बुरा ही होता है। आप जैसा लोगो के साथ करोगे तुम्हारे साथ भी वैसा ही व्यवहार होगा। सच ही कहा है “जैसी करनी वैसी भरनी।”
पिछली कहानी – जूँ और खटमल
तो दोस्तों, कैसी लगी पंचतंत्र की कहानियों के रोचक संसार में डुबकी। मजा आया ना, तो हो जाइए तैयार लगाने अगली डुबकी, .. .. .. ..
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