Panchatantra Stories
पंचतंत्र की कहानियाँ बड़े ही रोचक तरीके से ना केवल बच्चों को अपितु बड़ों को भी, मनोविज्ञान, व्यवहार, शिष्टाचार, संस्कार, नैतिक ज्ञान एवं राजनैतिक सिद्धांतों का ज्ञान का पाठ पढ़ाते हुए कोई ना कोई सीख भी दे जाती है। पंचतंत्र की अधिकतर कहानियों में पशु-पक्षियों के पात्रों द्वारा बड़ी से बड़ी गूढ़ बातों को बड़े ही सहज तरीके से प्रस्तुत किया गया है। जिनसे बच्चों का कोमल मन बड़ी आसानी से जुड़ जाता है और उनमें अच्छे विचारों का रोपण होता है, उनमे बेहतर संस्कार, जीवन में दोस्त व दोस्ती की अहमियत, सामाजिक व राजनैतिक व्यावहारिकता के गुणों के साथ-साथ जिससे उनमें विभिन्न परिस्थितयों से सामंजस्य स्थापित करने की बोद्धिक क्षमता व नेतृत्व करने की क्षमता का विकास होता है, जो उन्हें जीवन में सफल होने में सहायता प्रदान करता है। पंचतंत्र की कहानियाँ जितनी सरल और रोचक है, उतना ही रोचक पंचतंत्र की कहानियों का इतिहास है।
पंचतंत्र की कहानियों का इतिहास
आज से लगभग 2000 वर्षों पूर्व भारत के दक्षिणी भाग में महिकरोग्य नामक नगर था, जिस पर राजा अमरशक्ति राज करते थे। वे बहुत ही उदार, बुद्धिमान व कुशल राजनीतिज्ञ थे। उनके तीन पुत्र थे, बहुशक्ति, उग्रशक्ति आयर अनन्तशक्ति। लेकिन तीनों बुद्धिमान तो थे, लेकिन बहुत ही उद्दंड व अहंकारी थे। वे अपना पूरा बुद्धि कौशल दूसरों को नुकसान पंहुचाने या नीचा दिखाने में जाया कर देते थे। राजा अमरशक्ति इस बात से बहुत चिंतित थे। उन्होंने उन्हें नैतिक, राजनीतिक और व्यवहारिक शिक्षा प्रदान करने के लिए बहुत कोशिश की, कई गुरुओं से उन्हें शिक्षा दिलवाने का प्रयत्न किया, लेकिन वे सफल नहीं हुए। उन्हें लगने लगा कि उनके पुत्रों को सुधारना और शिक्षा प्रदान करना असंम्भव है। एक बार उन्होंने अपने दरबार में अपने कुशल, बुद्धिमान और दूरदर्शी मंत्रियों के समक्ष अपनी इस चिंता को व्यक्त किया और उनसे इस सम्बन्ध में परामर्श माँगा। तब उनके एक मंत्री सुमति ने उन्हें सभी शास्त्रों के ज्ञाता पंडित विष्णु शर्मा के बारे में बताया और कहा कि वे बहुत ही गुणी और योग्य है, वे बहुत ही अल्प समय में राजकुमारों को शिक्षित करने का सामर्थ्य रखते है।
अपने मंत्री के परामर्श पर राजा अमरशक्ति पंडित विष्णु शर्मा के पास गए और उन्हें अपने पुत्रों के बारे में सारी बात बताकर उन्हें शिक्षित करने का अनुरोध किया और साथ ही सौ गांवों को पारितोषिक के रूप में देने का वचन दिया। पंडित विष्णु शर्मा ने पारितोषिक को अस्वीकार करते हुए राजकुमारों को इस चुनौती के साथ अपना शिष्य बना लिया कि यदि छह माह में वे राजकुमारों को शिक्षित नहीं कर पाए तो राजा उन्हें मृत्युदंड दे सकते है। राजा अमरशक्ति ने पंडित विष्णु शर्मा से आश्वाशन पाकर तीनों राजकुमारों को उनके आश्रम में छोड़ दिया और निश्चिन्त होकर अपने राज-काज में लग गए।
पंडित विष्णु शर्मा ने पशु-पक्षियों को पात्र बनाकर राजकुमारों को नीतिशास्त्र, व्यवहारिक एवं नैतिक ज्ञान की शिक्षा प्रदान की, और अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार छह माह में ही तीनों राजकुमारों को सभी विषयों में पारंगत कर दिया। राजकुमारों की शिक्षा समाप्त होने के पश्चात उन्होंने इन सभी कहानियों को लिखकर व संग्रहित कर एक ग्रन्थ की रचना की, जिसे उन्होंने पंचतंत्र का नाम दिया। उन्होंने विषयों व शिक्षा के आधार पर पंचतंत्र की कहानियों को पांच भागों में विभक्त किया। वे पांच भाग है :-
- मित्रभेद: इस भाग में उन्होंने मित्रों में होने वाले मनमुटाव व अलगाव से होने वाले नुकसान व अहित के बारे में बताते हुए मित्रता की अहमियत बताई ।
- मित्र लाभ या मित्रसंप्राप्ति: इस भाग में विभिन्न कहानियों के माध्यम से मित्र के साथ से होने वाले लाभों का वर्णन किया।
- संधि-विग्रह या काकोलुकियम: पंचतंत्र के इस भाग में कौवे और उल्लुओं के बैर की कथा के साथ-साथ मुर्खता से होने वाले नुकसानों के बारे में शिक्षा प्रदान की।
- लब्धप्रणाशा: इस भाग में उन्होंने बताया कि जब मृत्यु या विवाश समीप हो तो कैसे उसका सामना करना चाहिए ।
- अपरीक्षितकारकम: पंचतंत्र के इस भाग में पंडित विष्णु शर्मा ने उन कहानियों का संकलन किया जिससे यह शिक्षा मिलती है की जिस बात को पहले परखा नहीं गया हो उस उसे करने से पहले सावधान रहना चाहिए। असावधानी से या हड़बड़ी में कोई कदम नहीं उठाना चाहिए।
पंचतंत्र की दुनियां बहुत ही निराली है जहाँ हमें मिलते है बोलते हुए पशु-पक्षी, जो हमें अपनी दुनियां में ले जाकर बहुत सी बातें सिखा जाते हैं। यहाँ पर चालाक लोमड़ी है तो चतुर खरगोश भी, मूर्ख कौआ है तो बुद्धिमान चिड़िया भी, भोला-भाला ऊंट है तो धूर्त सियार भी, क्रूर शेर है तो दयालु शेर भी। यह एक ऐसी दुनियां है जहाँ एक छोटा चूहा शेर की जान बचा लेता है तो एक छोटा सा खरगोश शेर को मार देता है। क्यों है ना रोचक और मजेदार!
lookinhindi.com अपने इस भाग में पंचतंत्र की कहानियों को आपके समक्ष प्रस्तुत करने का एक छोटा सा प्रयास कर रहा है, जिसके लिए आपका साथ अपेक्षित है। तो चलिए चलते है पंचतंत्र की कहानियों के रोचक संसार में डुबकी लगाने ……… तो अब पकड़ लीजिए अपनी नाक और लगा दीजिए तीसरी गिनती पर डुबकी. 1, 2, 3!!!
पंचतंत्र की कहानियाँ
मित्रभेद
- मित्रभेद – सूत्रधार कथा – Mitrabhed – Sutradhar Katha
- बंदर और लकड़ी का खूंटा – Bandar Aur Lakdi Ka Khunta
- ढोल की पोल – Dhol Ki Pol
- व्यापारी का पतन और उदय – Vyapari Ka Patan Our Udai
- लड़ती भेड़ें और सियार – Ladti Dhede Aur Siyar