6 Seasons Name in English and Hindi | ऋतुओं के नाम अंग्रेजी व हिन्दी में
कैसे है आप, और बताइए मौसम के क्या हाल है। जब भी हम किसी से मिलता है तो हमारे सवाल कुछ इसी तरह के होते है। मौसम क्या होता है? ऋतुएं कौन-कौन सी होती है? ऋतुओं के नाम क्या होते है? ऐसे कुछ सवाल कई लोगों के मन में उठते होंगे।
आज में अपने इस लेख में कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब लेकर आई हूँ। इस लेख में आप जानेंगे मौसम, ऋतुओं के नाम अंग्रेजी और हिन्दी में व उनसे जुड़ी कुछ बातों को। तो फिर देर ना करते हुए हम अपने विषय पर चलते है।
मौसम या ऋतु क्या है?
पृथ्वी के द्वारा सूर्य की परिक्रमा के दौरान पृथ्वी की स्थिति व सूर्य से दूरी के अनुसार दिन-रात की अवधि, तापमान, वर्षा, आर्द्रता आदि दशाएँ एक निश्चित अंतराल के में बदलती रहती है। इसे ही मौसम या ऋतु कहते है। सभी मौसम चक्रीय रूप में निश्चित समय पर एक के बाद एक आते रहते है।
सुलभता के कारण एक वर्ष को मौसम के अनुसार अलग-अलग भागों में विभाजित करके उस कालखंड को एक नाम दे दिया गया है।
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार एक वर्ष में तीन प्रकार के मौसम (ऋतुएँ) होते हैं; गर्मी (Summer), सर्दी (Winter) और बरसात (Rainy seasons)।
लेकिन भारत में ऋतुएँ छः प्रकार की होती हैं, बसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद्, हेमंत और शिशिर। इसीलिए भारत को ऋतुओं का देश भी कहा जाता है।
Seasons Name in English and Hindi – (ऋतुओं के नाम अंग्रेजी व हिन्दी में)
गर्मी, सर्दी और बरसात इन तीन ऋतुओं के बारे में तो लगभग सभी को पता होगा। लेकिन इन तीनों के बीच में तीन ऋतुएँ और भी आती है, जिनके बारे में कई लोग नहीं जानते है।
तो आइए जानते है सभी छः ऋतुओं के नाम अंग्रेजी और हिन्दी में और वे अंग्रेजी व हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कौन-कौन से महीनों मे आती है:-
S. No. | Seasons Name in English | Seasons Name in Hindi | Related Hindu Months | Related English Months |
---|---|---|---|---|
1 | Spring Seasons | बसंत ऋतु | माघ से चैत्र | फरवरी से अप्रैल |
2 | Summer Seasons | ग्रीष्म ऋतु | वैशाख से आषाढ | अप्रैल से जून |
3 | Rainy Seasons | वर्षा ऋतु | आषाढ से भाद्रपद | जून से सितंबर |
4 | Autumn Seasons | शरद् ऋतु | आश्विन से कार्तिक | सितंबर से अक्टूबर |
5 | Pre-Winter Seasons | हेमंत ऋतु | कार्तिक से मार्गशीर्ष | अक्टूबर से नवंबर |
6 | Winter Seasons | शिशिर / शीत ऋतु | मार्गशीर्ष से माघ | दिसंबर से फरवरी |
Seasons Name in Sanskrit – (ऋतुओं के नाम संस्कृत में)
पढ़ने वाले बच्चों व कुछ ऐसे जिज्ञासु लोगों को जो अलग-अलग संस्कृति, भाषाओं के बारे में जानना चाहते है। वे ऋतुओं के नाम संस्कृत में जरूर जानना चाहेंगे। यदि हाँ तो नीचे दी गई तालिका आपके लिए ही है:-
S. No. | Seasons Name in Hindi | Seasons Name in Sanskrit | English Pronunciation |
---|---|---|---|
1 | बसंत ऋतु | वसंत: | Vasantah |
2 | ग्रीष्म ऋतु | ग्रीष्म: | Grishmah |
3 | वर्षा ऋतु | वर्षा: | Varshah |
4 | शरद् ऋतु | शरद्: | Sharadah |
5 | हेमंत ऋतु | हेमंत: | Hemanhah |
6 | शिशिर / शीत ऋतु | शिशिर: | Shishirah |
6 Seasons – (ऋतुओं के बारे में कुछ रोचक जानकारी)
दुनियाँ में कई देश ऐसे भी है जहाँ या तो पूरे वर्ष ठंड रहती है या पूरे वर्ष गर्मी रहती है। कुछ देशों में सर्दी, गर्मी, और बरसात तीनों मौसम मिल जाते है।
लेकिन भारत में छह ऋतुएं होतो है इसलिए इसे ऋतुओं का देश भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ पर थोड़े-थोड़े अंतराल पर मौसम बदलता रहता है। प्रत्येक ऋतु लगभग दो महीने की होती है।
मौसम के अनुसार ही खेती की जाती है और हमें तरह-तरह की खाने पीने की वस्तुएं मिलती रहती है।
हर ऋतु में कुछ विशेष व्रत, उत्सव, पर्व और त्योहार होते हैं। कुछ पर्व खेती से जुड़े होते है तो कुछ संस्कृति से तो कुछ मौसम परिवर्तन से। प्रत्येक मौसम (ऋतु) वे वातावरण और उससे जुड़े त्योहारों का अपना अलग ही आनंद और उत्साह होता है।
तो चलिए जानते है इन ऋतुओं के वातावरण व इनके दौरान मनाए जाने वाले कुछ प्रमुख त्योहारों के बारे में:-
Spring Seasons – वसंत ऋतु
वसंत या बसंत ऋतु सर्दियों के मौसम के बाद और गर्मियों के मौसम से पहले आती है। वसंत ऋतु अंग्रेजी महीनों के फरवरी से अप्रैल के महीने के मध्य व हिन्दी महीनों में माघ से चैत्र महीनों के मध्य में आती है। वसंत का प्रारंभ बसंत पंचमी से माना जाता है, जो माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आती है।
शिशिर ऋतु में जब पेड़ों से सभी पत्ते झड़ जाते है, तब वसंत ऋतु एक अलग ही बहार लेकर आती है।वृक्षों पर नई कोंपले फूटने लगती है। उन पर कलियों और फूलों की बहार आ जाती है। आम के पेड़ों पर बौर आ जाते हैं।
हर तरफ हरियाली छा जाती है। खेतों में सरसों के फूल इस तरह लगते है जैसे धरती पर पीले रंग की चादर बिछा दी गई हो। ऐसा लगता है जैसे धरती ने स्वर्ण और हरियाली से अपना श्रृंगार कर लिया हो।
प्रकृति की सुन्दर छटा को देखकर हर किसी के मन में एक अलग उमंग और उत्साह का संचार होने लगता है। ऐसा लगता है पृथ्वी को एक नया जीवन मिल गया हो।
वसंत ऋतु एक ऐसा मौसम है जिसमें जिसमें न ज्यादा गर्मी पड़ती है और न ही ज्यादा सर्दी। आसमान हल्के-हल्के बादलों के साथ बिल्कुल साफ दिखाई देता है। ठंडी और तरोताजा करने वाली हवा चलती है। इस ऋतु में मौसम बहुत ही सुहावना होता है। इसीलिए इसे मीठा मौसम और ऋतुओं का राजा “ऋतुराज” भी कहा जाता है।
यह किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण मौसम होता है। खेतों में पकी हुई फसलें पकने लगती हैं और यह फसलों को काटने का अर्थात किसानों को अपनी मेहनत का फल प्राप्त करने समय होता है। इसी खुशी में किसानों द्वारा बैसाखी का त्योहार मनाया जाता है।
वसंत ऋतु को “कामदेव का पुत्र” भी कहा जाता है। मान्यता है कि ताड़कासुर को ये वरदान प्राप्त था कि उसका वध केवल शिवजी का पुत्र ही कर सकता था। लेकिन सती की मृत्यु के बाद भगवान शिव अखंड तपस्या में लिन हो गए थे। तब शिवजी का देवी पार्वती से विवाह करवाने के लिए देवताओं ने कामदेव की सहायता ली। तब भगवान शिव को रिझाने के लिए कामदेव ने मन को मोह लेने वाली ऋतु “वसंत ऋतु” को उत्पन्न किया।
पूरी कहानी पढ़ने के लिए यहाँ Click करें – कामदेव का पुत्र “ऋतुराज वसंत”
भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा भी है कि ऋतुओं में मैं बसंत हूँ अर्थात देवताओं द्वारा भी वसंत ऋतु को सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
वसंत ऋतु में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहार
वैसे तो वसंत ऋतु में कई छोटे-मोटे त्योहार आते है लेकिन वसंत पंचमी वसंत ऋतु के मुख्य त्योहारों में से एक है। इस दिन विद्या के देवी माँ सरस्वती की आराधना की जाती है और वसंतोत्सव मनाया जाता है। कई जगहों पर छोटे बच्चों का विद्यारंभ भी इसी दिन से करवाया जाता है। वसंत ऋतु में मुख्यत: निम्न त्योहार मनाए जाते है।
- Vasant Panchmi – वसंत पंचमी / बसंत पंचमी
- Mahashivratri – महाशिवरात्रि
- Holi – होली
- Shitlashtmi – शीतलाष्टमी
- Gudi Padwa/Vasant or Chetra Navraatre/Navtsar – गुडी पडवा/वसंत या चेत्र नवरात्रे/नवत्सर
- Gangour – गणगौर
- Ram Navami – राम नवमी
- Mahaveer Jayanti – महावीर जयंती
- Hanuman Jayanti – हनुमान जयंती
- Baisakhi – बैसाखी
Summer Seasons – ग्रीष्म ऋतु
भारत में ग्रीष्म ऋतु अंग्रेजी महीनों के अनुसार अप्रैल से जून और हिन्दी महीनों के अनुसार वैशाख से आषाढ के मध्य में आती है। इस मौसम में सूर्य उत्तरायण हो चुका होता है; अर्थात भूमध्य रेखा से कर्क रेखा के करीब व सीध में होता है, जिससे सूर्य की किरणें पृथ्वी पर सीधी पड़ती है। दिन बड़े और रातें छोटी होती हैं। पृथ्वी की सूर्य से दूरी भी कम हो जाती है, इस कारण मौसम बहुत गर्म हो जाता है।
सूरज अपने प्रचंड वेग से धरती पर आग बरसाता सा प्रतीत होता है। नदियों, तालाबों, कुओं का पानी सूखने लगता है और धरती का जल स्तर कम होने लगता है। पानी की कमी से जीव-जन्तु तो क्या पेड़-पौधे भई मुरझा जाते है।
सूरज की तेज किरणों से हवाएं धीरे-धीरे गर्म और शुष्क हो जाती है और लू का रूप धारण कर लेती है। तेज हवाएं व मिट्टी से भरी काली-पीली आँधियाँ आती रहती है।
किसी-किसी जगह तो तापमान 50 डिग्री से भी ज्यादा हो जाता है। भारत के उत्तरी-पश्चिमी हिस्से जैसे: राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, गुजरात में गर्मी का प्रकोप सबसे ज्यादा रहता है।
राजस्थान के बीकानेर और जैसलमेर जैस स्थानों पर तो तेज हवाएं रेत के टीलों को एक जगह से उड़ाकर दूसरी जगह टीले बना देती है। इंसान ही नहीं पशु-पक्षी तक तेज गर्मी से व्याकुल हो जाते हैं।
इन सब के बावजूद भी ग्रीष्म ऋतु हमारे लिए लाभकारी होती है। सूर्य की गर्मी से फसल पकने में सहायक होती है और इससे वर्षा भी होती है। सूर्य अपनी तेज किरणों से धरती से जल खींचता है, जिससे बादल बनते है और वर्षा ऋतु आने पर बरसात होती है।
भारत के दक्षिणी हिस्से में समुद्र होने के कारण वहाँ गर्मी का प्रकोप कम रहता है।
ग्रीष्म ऋतु में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहार
- Akshaya Tritiya/Parshuram Jayanti – अक्षय तृतीया/परशुराम जयंती
- Buddha Purnima / Bhagwaan Buddha’s Birthday – बुद्ध पूर्णिमा / भगवान बुद्ध जयंती
- Ganga Dussehra – गंगा दशहरा
- Nirjala Ekadashi – निर्जला एकादशी
- Chouth – चौथ
- Gupt Navratre – गुप्त नवरात्रे
- Rathyatra Utsav – रथयात्रा उत्सव
- Devshayni Ekadashi – देवशयनी एकादशी
- Guru Purnima – गुरु पूर्णिमा
Rainy Seasons – वर्षा ऋतु
गर्मी की ऋतु के बाद आती है वर्षा ऋतु। वर्षा ऋतु अपने साथ खुशियों की ठंडी-ठंडी फुहार लेकर आती है। अंग्रेजी महीनों के अनुसार वर्षा ऋतु जून से सितंबर और हिन्दी महीनों के अनुसार आषाढ से भाद्रपद के मध्य में आती है। इसे मानसून भी कहते है। मानसून की वर्षा आषाढ/जून के अंत से शुरू हो जाती है, जो श्रावण और भाद्रपद में अपने चरम पर होती है।
भीषण गर्मी के बाद क्या जन्तु क्या इंसान यहाँ तक की धरती भी बड़ी उत्सुकता से वर्षा ऋतु का इंतजार करती है। वर्षा ऋतु में आसमान पर काले-काले बादल उमड़-घुमड़ के आते है और जल की वर्षा करके गर्मी से झुलसती धरती की प्यास बुझाते है।
नदी-नाले उफान मारने लगते है। झरनों को मानों नया जीवन मिल जाता है वे अपने पूरे वेग से बहने लगते है। क्या मैदान क्या पहाड़ चारों ओर हरियाली छा जाती है। पक्षी कलरव करने लगते है। कई विदेशी पक्षी भी कुछ दिनों के लिए मेहमान बनकर आ जाते है। पानी में पक्षियों की अठखेलियाँ देखकर मन में रोमांच भर जाता है।
खेतों और खलिहानों को एक नई जिंदगी मिलती है, धरती पर पीने का पानी सुलभ हो पाता है। पहली बारिश होते ही किसानों के चेहरे खिल उठते है और वे नई फसल बोने की तैयारी करने लग जाते है।
वातावरण से धूल-मिट्टी व गंदगी साफ हो जाती है जिससे नीला आसमान बहुत चमकदार और साफ दिखाई देने लगता है। बरसात के मौसम में यदि बादल ना हो तो रात के समय आसमान में तारे अन्य ऋतुओं के मुकाबले ज्यादा दिखाई देते है।
वर्षा ऋतु में बहुत उमस होती है, लेकिन बरसात होने के बाद मौसम सुहावना हो जाता है। कई लोग इन दिनों नदियों और पहाड़ों पर सैर करने जाते है।
वर्षा ऋतू में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहार
- Hariyali Amavsya – हरियाली अमावस्या
- Hariyali Teej – हरियाली तीज
- Raksha Bandhan – रक्षाबंधन
- Satudi Teej – सातुड़ी तीज
- Nag Panchmi – नाग पंचमी
- Chandan Shashthi/Chand Chath/Ub Chath – चंदन षष्ठी/चाँद छठ/ऊब छठ
- Shri Krishna Janmashtami – श्री कृष्ण जन्माष्टमी
- Goga Navmi – गोगा नवमी
- Ganesh Chaturthi – गणेश चतुर्थी
- Rishi Panchami – ऋषि पंचमी
- Ramdev / Teja Dashmi – रामदेव/तेजा दशमी
- Anant Chaturdashi – अनंत चतुर्दशी
- Independance Day – स्वतंत्रता दिवस
- Onam – ओणम
- Muharrm – मुहर्रम
Autumn Seasons – शरद ऋतु
वर्षा ऋतु के बाद आती है शरद ऋतु। यह वर्षा ऋतु का उत्तरार्ध होता है। शरद ऋतु में भी बसंत ऋतु की तरह ही ना अधिक गर्मी होती है और ना अधिक सर्दी। लेकिन हाँ, वर्षा ऋतु के मुकाबले गर्मी थोड़ी बढ़ जाती है। कभी-कभी बारिश भी हो जाती है।
अंग्रेजी महीनों के अनुसार वर्षा ऋतु सितंबर से अक्टूबर और हिन्दी महीनों के अनुसार अश्विन से कार्तिक के मध्य में आती है।वर्षा ऋतु की बरसात रुक जाती है। चारों तरफ हरियाली छा जाती है। मौसम सुहावना हो जाता हैं। दिन में मौसम सुहावना और रातें ठंडी होने लगती है।
अश्विनी मास के शुक्ल पक्ष की चाँदनी रातों में शरद ऋतु का सौन्दर्य देखते ही बनता है। वर्षा ऋतु के कारण वातावरण साफ हो जाने के कारण आसमान में अनगिनत तारे दिखाई देने लगते है। चाँद की चाँदनी में नहाई हुई दूधिया राते और मालती के फूलों की खशबू फिज़ा में मादकता भर देती है।
झीलें वन कुमुद व कमल के फूलों से और मालती के वृक्ष सफेद-गुलाबी-सुर्ख लाल रंग के फूलों से आच्छादित हो जाते हैं। भँवरों की गुंजन कानों में मधुर संगीत सुनाती सी प्रतीत होती है। पानी में पक्षियों की अठखेलियाँ व कलरव कानों, आँखों व मन को सुकून देता है।
शरद ऋतु के आगमन साथ ही ऊंचे पहाड़ी इलाकों, खेतों की मेढ़ों व नदियों के तट पर कास के सफेद फूल लहराने लग जाते हैं। दूर-दूर तक लहराते कास के सफेद फूल ऐसे लगते है मानों धरती ने श्वेत वस्त्र धारण कर लिए हो। इ
शरद ऋतु के अंतिम दिनों में मीठी-मीठी ठंड पड़नी शुरू हो जाती है। इसलिए शरद ऋतु को संधि काल भी कहा जाता है, क्योंकि यह ऋतु वर्षा ऋतु और हेमंत ऋतु के बीच का समय।
इस समय तक खेतों में खड़ी फसल पकने लग जाती है और कहीं-कहीं इनकी कटाई भी शुरू हो जाती है। इस ऋतु में ही हमें धीरे-धीरे वर्षा ऋतु के खान पान को छोड़कर शरद ऋतु के खान पान को अपनाना शुरू कर देना चाहिए। शरद ऋतु को स्वस्थ ऋतु माना जात है। इस ऋतु में अच्छे खान-पान से शरीर को तंदुरुस्त रखा जा सकता है।
कास के फूल वाली फ़ोटो
शरद ऋतु में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहार
- Sharad Navratre – शरद नवरात्रे
- Pratipada – प्रतिपदा
- Durgashtami – दुर्गाष्टमी
- Vijyadashmi/Dashahara – विजयदशमी/दशहरा
- Sharad Purnima – शरद पूर्णिमा
- Karwa Chouth – करवा चौथ
- Dhan Teras – धन तेरस
- Naraka/Roop Chaturdashi – नरक/रूप चतुर्दशी
- Deepawali – दीपावली
- Govardhan Puja – गोवर्धन पूजा
- Bhai Duj – भाई दूज
- Chath Puja – छठ पूजा
- Akhsay/Awla Navmi – अक्षय/आंवला नवमी
Hemat Ritu/Pre-Winter Seasons – हेमंत ऋतु
अंग्रेजी महीनों के अनुसार वर्षा ऋतु अक्टूबर से नवंबर और हिन्दी महीनों के अनुसार कार्तिक से मार्गशीर्ष के मध्य में आती है। हेमंत ऋतु में रातें बड़ी और दिन छोटे हो जाते हैं क्योंकि सूर्य दक्षिणायन हो जाते है। पृथ्वी की सूर्य से दूरी बढ़ जाती है जिससे सूर्य की गर्मी कम हो जाती है।
खेतों में खड़ी फसल पक चुकी होती ही और पकी हुई फसल की कटाई शुरू हो जाती है।
दिन में गुलाबी ठंड पड़ती है, लेकिन सुबह-सुबह व रात के समय में थोड़ी ठंड बढ़ जाती है। सुबह-सुबह पेड़ों के पत्तों पर ओंस की बुँदे ऐसे चमकती है जैसे पत्तों पर मोती रखे हुए हो। वातावरण एकदम साफ और सुहावना होता है। इन दिनों गुलाब व गेंदे के फूलों की बहार आ जाती है।
हेमंत ऋतु की शुरुआत में हल्की-हल्की ठंड पड़ने लग जाती है, इसीलिए Pre-Winter Seasons भी कहा जाता है। इस ऋतु में गर्म और सर्द हवाओं का मिलाजुला रुपदिखाई देता है; कभी सर्दी पड़ती है तो कभी गर्मी। इसलिए इस मौसम में कपड़े पहनने का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
हेमंत ऋतु के अंत तक आते-आते सर्दी तेज हो जाती है। पहाड़ों पर बर्फबारी की शुरुआत हो जाती है। जैसे-जैसे सर्दी बढ़ती है पेड़ों के पत्ते पीले पड़ने लग जाते है।
हेमंत ऋतु को सेहत बनाने की ऋतु कहा गया है, इस मौसम में अच्छे खान-पान से शरीर को लंबे समय तक स्वस्थ रखा जा सकता है।
हेमंत ऋतु में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहार
- Devuthni Ekadashi – देवउठनी एकादशी
- Tulsi Vivah – तुलसी विवाह
- Guru Nanak Jayanti – गुरु नानक जयंती
- Christmas – क्रिसमस
Winter Seasons – शिशिर ऋतु
शिशिर/शीत ऋतु अंग्रेजी महीनों के अनुसार वर्षा ऋतु दिसंबर से फरवरी और हिन्दी महीनों के अनुसार मार्गशीर्ष से माघ के मध्य में आती है। शिशिर ऋतु मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण होना शुरू हो जाते है; अर्थात उत्तरी गोलार्ध की तरफ बढ़ने लगता है। रातें छोटी और दिन बड़े होना शुरू हो जाते हैं।
शिशिर ऋतु की शुरुआत में सर्दी अपने शिखर पर और अंत में अपने अंतिम चरण में होती है। अर्थात शिशिर ऋतु की शुरुआत तेज सर्दी के साथ होती है और इसका अंत आते-आते एकदम कम हो जाती है।
पहाड़ों पर तेज बर्फबारी होती है। पहाड़ों के पास वाले मैदानी इलाकों से बर्फ से ढके सफेद पहाड़ ऐसे लगते है, जैसे किसी ने चारों ओर चांदी बिखेर दी हो। ठंड बहुत तेज हो जाती है। ठंड के कारण मुँह और नाक से निकलने वाली हवा जम कर धुएं का रूप ले लेती है ऐसे लगता है जैसे शरीर से धुआँ निकल रहा हो।
हवा की जलवाष्प जम कर जल की नन्हीं बूंदों में बदल कर कोहरे का रूप ले लेती है। हवा के साथ उड़ती हुई ये नन्हीं-नन्हीं बुँदे कोहरे का रूप लेकर ऐसे लगती है, जैसे पृथ्वी के श्वेत वस्त्र लहरा रहे हो।
पेड़ों के पत्तों पर ओंस की जमी हुई बुँदे ऐसी दिखती है जैसे पौधों ने मोतियों से अपना शृंगार कर रखा हो। तेज सर्दी से वृक्षों के पीले पड़कर झड़ना शुरू हो जाते है; अर्थात पतझड़ आ जाता है। एक तरह से यह कहा जा सकता है कि प्रकृति पर बुढ़ापा आ जाता है।
शिशिर ऋतु में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहार
- Lohri – लोहड़ी
- Bihu – बिहू
- Pongal – पोंगल
- Makar Sankranti – मकर संक्रांति
- Guru Govind Singh Jayanti – गुरु गोविंद सिंह जयंती
- Til Chouth – तिल चौथ
- Republic Day – गणतंत्र दिवस
मैंने अपने इस लेख में भारत में ने वाली सभी 6 ऋतुओं के बारे में कुछ जानकारी दी है। सभी ऋतुओं के नाम अंग्रेजी व हिन्दी में। इन ऋतुओं के वातावरण व ये कौन से अंग्रेजी और हिन्दी महीनों में आती है। इन ऋतुओं के समय कौन से त्योहार मनाए जाते है।
आशा करती हूँ कि आप सभी को सभी ऋतुओं के बारे में जानकारी अच्छी लगी होगी। यदि हाँ, तो मेरी इस Post को Like और Share करना मत भूलिएगा।
यदि आप इन ऋतुओं के खान-पान और दिनचर्या के बारे में जानना चाहते है तो मुझे Coments Box में जरूर लिखिए। यदि मेरे पास बहुत सारे कमेंट्स आए तो में इन सभी ऋतुओं पर भी अलग-अलग लेख जरूर लिखूँगी।
बाय-बाय!
यदि आप कुछ मजेदार और ज्ञानवर्धक जानकारी जानना चाहते है तो मेरे इन लेखों को अवश्य पढ़ें: –